देश में 1977 में लगाई गई इमरजेंसी के पीछे क्या कारण थे और क्या नहीं नागरिकों को उस दौरान कितने कष्ट झेलने पड़े वो किसी से छिपा नहीं है लेकिन उसके बाद से देश के बड़े राजनीतिक दलों में से एक कांग्रेस का जो जनाधार घटना शुरू हुआ वो 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और उसके समर्थकों के लिए काफी दुख का कारण था। 2024 के चुनाव के बाद राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता बने और कांग्रेस का वजूद मजबूती के साथ सामने आया। क्योंकि पूर्व में राहुल गांधी द्वारा भारत जोड़ो यात्रा का नारा देकर जो यात्रा की गई थी उसके परिणामस्वरूप जो जागरूकता कांग्रेस नेताओं में आई उसने लोकसभा चुनाव में अच्छे परिणाम दिए यह सभी जानते हैं। बताते चलें कि पार्टी में व्याप्त गुटबंदी को समाप्त करने और पुराने नेताओं व कार्यकर्ताओं को महत्व देने के दृष्टिकोण से शायद गत पांच दिसंबर को सभी जिला व शहरी इकाईयां भंग की गई थी और उस दौरान यह घोषणा की गई थी कि 100 दिन में नए पदाधिकारियों की घोषणा कर दी जाएगी। शायद उसी के तहत कांग्रेस आला कमान द्वारा यूपी में 133 जिला व महानगर अध्यक्ष घोषित किए गए। जिससे यह उम्मीद की जाती है कि इनके भरोसे 2027 का विधानसभा चुनाव जीतने या अच्छा प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है। शीघ्र ही बताते हैं कि अपने पुराने वोट बैंक को साधने के लिए प्रयासरत कांग्रेस हाईकमान के लिए यह जरूरी है कि वो मतदाताओं को तो साधने की कोशिश करे लेकिन जातिगत आधार पर बहुत ज्यादा ध्यान ना दे महिलाओं को समय से दी जाए भागीदारी और सम्मान व पद जिससे महिला कांग्रेस नेत्री पार्टी का जनाधार पूरी तौर पर अपने साथ लाने के लिए कोशिश कर सके। बताते हैं कि जल्द ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी शीघ्र ही सभी जिला व महानगर अध्यक्षों से सीधा संवाद कायम कर सकते हैं। एक जानकारी अनुसार 51 प्रतिशत सामान्य ब्राहमण 29 ठाकुर 12 वैश्य 7 कायस्थ 2 सिख 1.30, मुस्लिम 35, ओबीसी पांच एससी दो एसटी महिलाएं छह को भी हर हाल में कांग्रेस को ध्यान देना होगा। क्योंकि इनके वोट महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। हार जीत के आंकड़े तय करने में । एक समय था जब यूपी में ऐतिहासिक जनपद मेरठ का नाम धार्मिक और स्वतंत्रता संग्राम के दृष्टिकोण से लिया जाता था और राजनीति में इसका पूर्ण प्रभाव था लेकिन इमरजेंसी के बाद जो उतराव शुरू हुआ वो धीरे धीरे यहां कांग्रेस सिमटती चली गई। लेकिन वर्तमान में जिलाध्यक्ष के पद पर गौरव भाटी एडवोकेट और महानगर अध्यक्ष पद पर रंजन शर्मा की जो नियुक्ति की गई है उससे यह उम्मीद की जाती है कि यह दोनों पार्टी के पुराने वफादार और समर्पित चौधरी यशपाल सिंह, सरदार कर्मेंद्र सिंह, युसुफ कुरैशी एडवोकेट व पूर्व पार्षद व जुझारू नेता मनजीत सिंह कोछड़ व राजीव शर्मा एडवोकेट जैसे नेताओं कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलेंगे और गुटबंदी समाप्त करने में कामयाब होंगे। नगर निगम में कांग्रेेस दल के नेता और कार्यकारिणी उपाध्यक्ष रह चुके रंजन शर्मा भाजपा की राजनीति के मजबूत काल में भी अपना वर्चस्व रखने में कायम रहे और कांग्रेसियों व क्षेत्र के नागरिकों की समस्याओं के समाधान के लिए डटकर खड़े रहने के चलते वो अपना स्थान बनाए रहे हैं। इसलिए मुझे लगता है कि वो राहुल प्रियंका की विचारधारा के तहत महिलाओं और कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाने व उन्हें सम्मान देने की कार्यप्रणाली के तहत कांग्रेस के खिसके जनाधार को वापस लाने में सफल हो सकते हैं। इसका अंदाजा इससे भी लगा सकते हैं कि गौरव भाटी और रंजन शर्मा को कांग्रेस नेता डॉ. प्रदीप अरोड़ा, प्रशांत कौशिक, पूर्व पार्षद सतीश शर्मा, डॉ. प्रभात गौतम, इमरान, सैयद अमीर रजा, मतीन अंसारी, नईम राणा, योगी जाटव, हरिकिशन, नवनीत राणा सहित जिलाध्यक्ष अवनीश काजला व महानगर अध्यक्ष जाहिद अंसारी ने उन्हंे बधाई दी है। होगा क्या यह समय की बताएगा लेकिन कांग्रेस के नए पदाधिकारियों से पार्टी को काफी उम्मीद होनी चाहिए।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
कांग्रेस के नवनियुक्त जिला व महानगर अध्यक्ष पार्टी का जनाधार वापस लाने व राहुल प्रियंका का संदेश जनता तक पहुंचाने में हो सकते हैं सफल, गौरव भाटी व रंजन शर्मा को पद मिलना समर्पित कार्यकर्ताओं का है सम्मान
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