महापौर का एक कार्यकाल छूटने के बाद दोबारा इस पद की पारी खेल रहे सक्रिय जनहित की सोचने वाले हरिकांत अहलूवालिया केंद्र व प्रदेश में भाजपा सरकार होने के चलते नगर निगम संबंधी सुविधाएं नागरिकों को उपलब्ध कराने और समस्याओं का निस्तारण ढूंढने के मामले में प्रयास करते नजर आ रहे हैं। उनकी क्रियाशील कार्यप्रणाली को देखकर यह भी लगता है कि वो पीएम मोदी और सीएम योगी की भावनाओं को ध्यान में रख काम करने की कोशिश कर रहे हैं। मगर उसका जितना असर होना चाहिए था वो होता नजर नहीं आ रहा। ऐसा क्यों है यह वो ही सोच सकते हैं।
लेकिन निगम क्षेत्र में सांसद अरूण गोविल, राज्यसभा सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, कैंट विधायक अमित अग्रवाल, उर्जा राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर, एमएलसी धर्मेद्र भारद्वाज, अश्विनी त्यागी समेत तमाम बड़े नेता निवास कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि सभी का महापौर को सहयोग मिल रहा है तो फिर वो काम ना होने पर गुस्सा होते है। भ्रष्टाचार के मामले में जांच भी बैठाते हैं। दोषी अधिकारियों की सीएम से शिकायत करते हैं लेकिन इतना सब होने के बाद भी नगर निगम के कुछ अफसरों की कार्यप्रणाली में सुधार और जनसमस्याओं का समाधान व जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वो भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसे में एक वरिष्ठ नगारिक का यह कथन सही लगता है कि मेयर के सबकुछ करने का असर क्यों नहीं आ रहा इस बारे में अपने सहयोगियों से चर्चा कर सरकार की छवि में सुधार व भविष्य में निगम के होने वाले चुनाव में आप या आपकी पार्टी का उम्मीदवार जनता से वोट मांग सके इसके लिए कुछ ऐसी रणनीति बनाकर काम करिए जिससे काम भी होता रहे और आपको गुस्सा होना या जांच बैठाना ना पड़े। जो जांच बैठाई जाती है उनके परिणाम नागरिकों को पता नहीं चलता। मेरा तो मानना है कि सर्वसम्मत नीति बनाकर पार्षदों को साथ लेकर भी अगर जनसमस्याओं का समाधान हो तो काफी अच्छा होगा। हो सकता हैं मैं गलत हूं लेकिन नगर निगम और नगर पालिका के पूर्व पार्षद व पार्षद दल के नेताओं जैसे अजय गुप्ता पूर्व महापौर मधु गुर्जर का भी सहयोग लिया जा सकता है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
महापौर जी गुस्सा भी करते हैं तमतमाते भी हैं जांच भी बैठाते हैं परिणाम क्या ?
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