asd बीमा कंपनी ने पहले से बीमारी बताकर निरस्त किया क्लेम, अब देने होंगे 1.46 करोड़ रुपये

बीमा कंपनी ने पहले से बीमारी बताकर निरस्त किया क्लेम, अब देने होंगे 1.46 करोड़ रुपये

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आगरा 22 जून। जिले में महिला ने पति की मौत के बाद बीमा कंपनी में क्लेम के लिए आवेदन किया था. कंपनी ने पहले से बीमारी होने का कारण बताकर बीमा क्लेम निरस्त कर दिया था. जिसके बाद महिला ने जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग में अर्जी लगाई थी. आयोग ने अब बीमा कंपनी से महिला को 1,46,42000 रुपये 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अदा करने का आदेश दिया है.

जानकारी के मुताबिक, कमला नगर बी ब्लाक निवासी शालिनी अग्रवाल ने जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग में वाद प्रस्तुत किया था. जिसमें पति राहुल अग्रवाल की मौत के बाद स्मार्ट टर्म प्लान की पॉलिसी का था. शालिनी के मुताबिक, पति राहुल अग्रवाल ने मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी उद्योग विहार गुरुग्राम हरियाणा से 4 जनवरी 2020 में मैक्स लाइफ स्मार्ट टर्म प्लान की पॉलिसी ली थी. जिसका वार्षिक प्रीमियम 121864 रुपये था. इस पॉलिसी में बीमा की राशि 1.50 करोड़ थी. जिसमें किस्त का भुगतान 10 साल तक करना था.

पीड़िता शालिनी अग्रवाल ने बताया कि, पति राहुल अग्रवाल की 4 फरवरी 2022 को हार्टअटैक से मौत हो गई. जिसके बाद 7 मार्च 2022 को कंपनी की सारी औपचारिकता पूरी करके क्लेम के लिए आवेदन किया था. बीमा कंपनी ने पहले से बीमारी होने की वजह से मौत का कारण बताकर क्लेम 6 अगस्त 2022 को खारिज कर दिया. जिस पर बीमा कंपनी को विधिक नोटिस दिया. जिसका बीमा कंपनी ने जवाब नहीं दिया. इसके बाद ही पीड़िता ने जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग में बीमा कम्पनी के खिलाफ वाद दायर किया था.

पीड़िता शालिनी अग्रवाल ने बताया कि, स्मार्ट टर्म प्लान की पॉलिसी के तहत 10 लाख का दुर्घटना बीमा कवर भी था. पति राहुल अग्रवाल ने मुझे पॉलिसी में नॉमिनी बनाया था. पॉलिसी की शर्त के मुताबिक, 4 जनवरी 2066 को पूर्व अवधि पर बीमा पॉलिसी के पूरे रुपये देना तय था. पॉलिसी में यह शर्त निश्चित की गई थी कि, यदि बीमित व्यक्ति की मौत पॉलिसी टर्म के दौरान होती है तो समस्त बीमा राशि का भुगतान किया जाएगा.

आगरा के जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग प्रथम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार और सदस्य डॉ. अरुण कुमार ने बीमा कंपनी ने पीड़िता शालिनी अग्रवाल का पूरा केस सुना. इसके बाद बीमा कंपनी को आदेश दिया गया है कि, बीमा कंपनी 45 दिन के भीतर पीड़िता को 1,46,42000 रुपये 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अदा करे. इसके साथ ही मानसिक क्षतिपूर्ति के एक लाख रुपये और वाद व्यय के 10 हजार रुपये भी प्रदान करे.

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