ओडिसा के पुरी में हर साल निकलने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा इस वर्ष 27 जून को 12वीं शताब्दी के श्री जगन्नाथ मंदिर में अक्षय तृतीया के अवसर पर अनुष्ठान के साथ शुरू हो गई। इसी दिन परंपरा अनुसार मंदिर में भगवान की 42 दिवसीय चंदन यात्रा की शुरूआत हुई। वर्तमान समय में अब देशभर में भगवान जगन्नाथ की यात्राएं निकाली जाने लगी है फिर भी पुरी में निकलने वाली रथ यात्रा में भगवान के दर्शन हेतु भारी तादाद में भक्तों का जमावड़ा वहां लगता है। लेकिन अब भले ही कुछ लोग यह कह रहे हों कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी अपनी छवि में सुधार लाने और धार्मिक आस्थावान भक्तों का विश्वास जीतने के लिए राज्य में एक सहस्त्रवादी के बाद दीघा तट पर भगवान जगन्नाथ का मंदिर बनवाया गया हो तथा 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन ममता बनर्जी द्वारा भारी संख्या में आने वाले भक्तों के समागम की व्यवस्था कराने के साथ साथ इस भव्य मंदिर का शुभारंभ जगन्नाथ धाम की दीर्घा के संबोधन से किया गया हो मगर यह पक्का है कि इस मंदिर के बन जाने से देश के उन लाखों भक्तों को भगवान के दर्शन लाभ होंगे जो भीड़ या अन्य कारणों से पुरी जाकर दर्शन नहीं कर पाते थे। बताते चलें कि श्री चैतन्य महाप्रभु की प्रेरणा से जन्म भक्ति आंदोलन को पश्चिम बंगाल में 21वीं शताब्दी में एक नया पुरूत्थान मिला है। बंगाल के पर्यटन शहर दीधा में पुरी की तर्ज पर नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर के कपाट खुलने से पश्चिम बंगाल में दुर्गा मंदिर के साथ ही अब भक्तों के लिए एक और धार्मिक स्थान हो गया। 20 एकड़ भूमि पर बने इस मंदिर के निर्माण में एक अनुमान अनुसार 250 करोड़ की लागत आई। इसमें राजस्थान के बंसी पहाड़ से लाए गए लाल बलुआ पत्थरों का उपयोग हुआ है। यह पुरी के जगन्नाथ मंदिर से बिल्कुल मेल खाता है। 65 मीटर उंचे मंदिर में जटिल नक्काशी और पारंपरिक डिजाइन का मिश्रण भी देखने को मिलता है। दीघा के जगन्नाथ मंदिर की व्यवस्था का पता इससे चलता है कि यहां भी हर शाम ध्वज फहराया जाएगा। मंदिर को चार मंडपों में विभाजित किया गया है तो इतिहास और परंपरा की झलक दिखाते हैं। बताते हैं कि उक्त मंदिर देश का गौरव बढ़ाने और आस्था को और मजबूत बढ़ाने में महत्वपूर्ण होगा। इससे संस्कृति और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। लोकार्पण से पहले मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ बलभद्र सुभद्रा की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई। मंदिर के संचालन व रखरखाव की जिम्मेदारी इस्कॉन को सौंपी गई है। उसके द्वारा ही यहां रोजाना महाभोग प्रसाद का वितरण किया जाएगा। भगवान विष्णु के आठ तत्वों का गोलाचक्र मंदिर के शीर्ष पर स्थापित किया गया है। इसके चार द्वार बनाए गए हैं और 500 से अधिक पेड़ भी लगाए गए हैं। मंदिर के शुभारंभ में भाजपा नेता दिलीप घोष भी अपनी पत्नी संग मंदिर पहुंचे। ममता बनर्जी ने मंदिर प्रबंधन को सोने का झाडू दिया। तथा पांच लाख रूपये भी दिए गए। सबसे बड़ी उपलब्धि यह होगी कि मंदिर का प्रसाद मूर्ति के साथ घर घर तक पहुंचाया जाएगा। कुल मिलाकर उक्त मंदिर पश्चिम बंगाल सरकार के प्रयासों का सफल परिणाम है। इससे यहां के बहुसंख्यकों को भक्ति अभिव्यक्ति का मौका मिलेगा। मेरे हिसाब से जगन्नाथ मंदिर के लिए ममता बनर्जी को बधाई और शुभकामनाएं भक्तों के साथ यूपी में राम मंदिर का निर्माण कराने वाले नेताओं व सभी सीएम सहित पीएम मोदी को भी इसके लिए ममता बनर्जी की तारीफ करनी चाहिए क्योंकि इससे सनातन की परंपरा को लाभ मिलेगा। जो सरकार का इस मामले में मुख्य अभियान भी कह सकते हैं।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
पश्चिम बंगाल के दीघा तट पर भगवान जगन्नाथ का भव्य मंदिर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भक्तों को है अमूल्य देन
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