asd वृक्षारोपण में खाना पूर्तिं, राज्यपाल बोलीं: माफ नहीं करूंगी, अब खुल सकता है फर्जी पौधे लगाने के आंकड़ों का खेल, बढ़ने के बजाय घटी हरियाली क्षेत्र की सीमा

वृक्षारोपण में खाना पूर्तिं, राज्यपाल बोलीं: माफ नहीं करूंगी, अब खुल सकता है फर्जी पौधे लगाने के आंकड़ों का खेल, बढ़ने के बजाय घटी हरियाली क्षेत्र की सीमा

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पूरे प्रदेश में धरा को हरा भरा बनाने के लिए करोड़ों पौधे एक अभियान चलाकर लगवाने के सरकार और मुख्यमंत्री के अभियान को सफल बनाने हेतु इस बार एक वृक्ष मां के नाम लगाए जाने का नारा खूब बुलंद हुआ। इस नारे को देने वाले ने क्या सोचकर इसे बुलंद किया होगा यह तो वो ही जाने लेकिन क्योंकि इससे मां का नाम जुड़ गया है इसलिए ज्यादातर लगाने वाले इसकी देखभाल भी करेंगे और हरियाली बढ़ाने के प्रयास भी यह बात विश्वास के साथ कही जा सकती है। दूसरी तरफ पेड़ हमे प्राणवायु के रूप में अकूत संपत्ति ऐसी दे रहे हैं जो हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। शायद यही कारण है कि हमेशा एक वृक्ष दस पुत्र समान मानकर जो वृक्षारोपण किया जाता था वो इस बार युद्ध स्तर पर नजर आ रहा है और शायद यह सरकार का पहला ऐसा अभियान है जिसमें बिना किसी आग्रह व विवाद के विपक्षी दलों के नेता कार्यकर्ता भी आमजन के साथ पौधारोपण करने में लगे हैं। इसके उदाहरण के रूप में हम प्रदेश के पूर्व मंत्री और प्रमुख सपा नेता किठौर विधायक शाहिद मंजूर को देख सकते हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र के एक गांव में वृक्षारोपण किया।
इस बार मेरठ जनपद में अकेले 34 लाख से ज्यादा पौधे लगाए जा रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे प्रदेश में कितने उच्च स्तर पर यह काम सीएम के आहवान पर चल रहा है। पहली बार नागरिकों के साथ विधायक सांसद व मंत्री भी पौधारोपण कर रहे हैं।
इस बारे में सक्रिय संस्था फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट को सही माने तो हर साल घट रही है हरियाली से युक्त आबोहवा। क्येांकि लाखों करोड़ों पौधे लगाए जाने के उपरांत भी 2021 की जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि हरियाली का क्षेत्र कम हुआ है। जबकि जितने पौधे लगाए जाते हैं उनकी देखभाल हो तो उप्र में अब तक एक इंच जमीन भी हरियााली विहीन नहीं होनी चाहिए थी। मैं हमेशा यह बात कहा करता हूं कि अब तक जो पौधारोपण हुआ सरकार उसका हिसाब वनाधिकारियों से ले और पार्टी कार्यकर्ताओं को लगाकर यह देखें कि पौधों की क्या स्थिति है और कितने लगाए गए थे और कितने बचे।
मगर अब लगता है कि वन विभाग के अधिकारियों के आंकड़ों का खेल पौधारोपण के मामले में काम आने वाला नहीं है क्योंकि प्रदेश की महामहिम राज्यपाल जी द्वारा वृक्षारोपण के दौरान इस काम में लगे लोगों की कार्यप्रणाली ओर व्यवस्था पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि पेड़ लगाने पर नाम पर आप रस्म अदायगी कर रहे हैं। मैं यहां महज फोटो खिंचवाने नहीं आई है।
उत्तर प्रदेश में जिम्मेदार अधिकारियों के रवैये को लेकर योगी सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर सपा, कांग्रेस समेत तमाम विरोधी दल प्रदेश सरकार पर निशाना साध रहे हैं। बीजेपी के नेताओं और उसके सहयोगी दलों ने भी अधिकारियों के खिलाफ विरोध जताकर योगी सरकार को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। इसी बीच राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पौधा रोपण कार्यक्रम में खुले मांचे से अधिकारियों को फटकार लगा दी है। आनंदीबेन पटेल ने यहां तक कह दिया कि मुझे पता होता तो आती ही नहीं। साथ ही कहा कि मैं आपको माफ नहीं कर पाऊंगी।
योगी सरकार का दावा है कि 20 जुलाई को पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ के जन अभियान के तहत एक दिन में 36.51 करोड़ से अधिक पौधे रोपे गए। लेकिन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने वृक्षारोपण कार्यक्रम के दौरान पेड़ लगाने के लिए खोदे गए गड्ढे पर सवाल उठाते हुए अधिकारियों को फटकार लगाई है। इसके बाद से योगी सरकार एक बार फिर अधिकारियों के मामले में घिरती हुई नजर आ रही है। वृहद स्तर पर हुए पौधा रोपण कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सीएम योगी लखनऊ, प्रयागराज और गोरखपुर पहुंचे थे। वहीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सीतापुर जिले के खैराबाद ब्लॉक में वृक्षरोपण कार्यक्रम में पहुंची थी।
मंच से ही सुनाई खरी खोटी
लेकिन पौधों की लंबाई की तुलना में कम गहरे गड्ढे खोदे जाने को लेकर आनंदीबेन पटेल आग बबूला हो गईं। इसको लेकर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भरे मंच से ही जिम्मेदार अधिकारियों को खरी खोटी सुना दी है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंच से अपनी नाराजी जाहिर करते हुए कहा कि सभी अधिकारी यहां मौजूद हैं, और मेरा स्वभाव है कि जो अधिकारी अच्छा काम नहीं करता उसे डांट लगा देती हूं। उन्होंने इशारे में बताया कि इतना बड़ा पेड़ और गड्ढा इतना छोटा। वन विभाग तो यह काम करता रहता है, कहां गया वन विभाग का काम?
सब यहां हैं… फिर भी ऐसा कार्यक्रम
राज्यपाल ने कहा कि सेना और वन विभाग के जवान इधर हैं, होमगार्ड भी इधर हैं और पुलिस के जवान भी इधर हैं। एनसीसी और एनएसएस के स्टूडेंट इधर हैं, फिर भी ऐसा कार्यक्रम। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि इससे अच्छा था कि हम यहां नहीं आते। आनंदीबेन पटेल ने आगे कहा कि ये कार्यक्रम पूरे दिल के साथ होने की जरूरत थी। क्योंकि ऐसा अवसर हमें कभी-कभी ही मिलता होता है। उन्होंने कहा कि मां को याद कर पेड़ लगाना था लेकिन बच्चों को भी नहीं पता है कि हमें पेड़ लगाना है और कैसे लगाना है। इतना ही नहीं, इस कार्यक्रम से जुड़े जिम्मेदार अधिकारियों पर गुस्सा जाहिर करते हुए आनंदीबेन पटेल ने कहा कि मैं आपको माफ नहीं करूंगी। साथ ही मंच पर बगल में खड़े वन मंत्री को लेकर राज्यपाल ने कहा कि हमारे मंत्री भी इधर हैं, आकर देखना चाहिए था कि सही ढंग से सब गड्ढे हो गए हैं या नहीं।
राज्यपाल ने आगे कहा कि सवाल यही है कि अगर आप इतने बड़े पेड़ लाये हो तो उसे सपोर्ट भी मिलना चाहिए। हम इधर क्यों आते हैं और ऐसे कार्यक्रम क्यों होते हैं? नई पीढ़ी को भी सिखाना पड़ेगा कि आने वाले समय में आपको भी ऐसे ही काम करना है। यहां सब फोटो खींचने के लिए तैयार है। टीचर्स भी फोटो खींचने के लिए मैडम इधर आओ मैडम इधर आओ कह रही हैं। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि क्या मैं फोटो खींचने के लिए इधर आई हूं, नहीं। इस तरह राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सीतापुर में वृक्षणरोपण कार्यक्रम के दौरान अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई है। वहीं राज्यपाल की फटकार के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि जिम्मेदार अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।
वृक्षारोपण में होने वाले खेल का पता तो राज्यपाल जी की नाराजगी से ही चलता है। और सपा प्रवक्ता आशुतोष वर्मा के इस कथन से भी होता है कि 168 करोड़ पौधे पिछले सात साल में प्रदेश में लगाए गए मगर हरियाली में इजाफा नहीं हुआ। इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं वो तो वन विभाग ही जानता है लेकिन मुझे लगता है कि बड़ी संख्या में लोग इस मौके पर फोटो खिंचवाने और मीडिया में चर्चित होने का प्रयास करते हैं। मुख्यमंत्री की भावना का आदर करते हुए इस अभियान में भाग लेकर वृक्षों की सुरक्षा और देखभाल का संकल्प उनके द्वारा नहीं लिया जाता और समारोह समाप्ति के बाद शायद वह यह भी भूल जाते हैं कि लगाए गए पौधे का क्या हाल है। यह भी देखना चाहिए। मगर अब राज्यपाल के कथन से यह महसूस होता है कि आंकड़ों का जो यह खेल चल रहा था और कुछ लोगों ने इसे अपनी आमदनी का जरिया बनाया था इसका खुलासा जल्द ही होगा।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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