मुजफ्फरनगर 18 फरवरी। नवीन मंडी स्थल पर भाकियू की पहली पंचायत में किसान हित में कई प्रस्ताव पास किए गए। साथ ही किसान नेता भाजपा सरकार पर खूब गरजे।
भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि वर्ष 2047 तक सरकार का लक्ष्य पूंजीपतियों के लिए किसानों की 70 प्रतिशत जमीन हासिल करना है। आरपार की लड़ाई का समय आ गया। किसान-मजदूर चुनाव से दूर रहकर संगठन को मजबूती देने का कार्य करें।
भाकियू प्रवक्ता ने कहा कि किसानों के प्रति सरकार का रवैया ठीक नहीं है। दबाने की साजिश रची जा रही है, जिसके चलते झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है। फसलों के दाम नहीं मिल रहे, लेकिन कर्ज खूब दिया जा रहा है। किसानों को कर्जदार बनाकर उनकी जमीन छीनने की मंशा है।
मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ हाल ही में बागपत आए, लेकिन बगैर गन्ना मूल्य घोषित किए चले गए। यह दर्शाता है कि किसान आंदोलन में कमजोरी आई है। अब बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहो। डीएम, एसएसपी कार्यालय व आवास घेरने पड़ेंगे। पूरे देश में आंदोलन को गति देनी है। उन्होंने कहा कि सरकार जाति-बिरादरियों में बांटना चाहती है। भाकियू की फौज को भी तोड़ दिया है। ट्रेंड लोग तोड़ लिए हैं। जल, जंगल और जमीन बचाने के लिए सभी को एकत्र होना होगा। सरकार ने आजादी के 100 साल पूरे होने तक का लक्ष्य बना है। इस समय अवधि तक अधिकांश किसानों की जमीन हड़प ली जाएगी। इसे बचाने का एक ही तरीका है, अपने खर्चे कम करके खेती कार्य में मेहनत अधिक करों। व्यापारियों को भी साथ आना होगा, क्योंकि सरकार मंडियों को बेचना चाहती है।
वहीं भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि किसानों से चारों ओर से फंसा लिया है। स्थिति ऐसी हो गई है कि फांसी का फंदा गले में हैं और किसान ड्रम पर खड़ा है। अस्तित्व बचाना चुनौती बन गया है। सीजन खत्म होने को है और गन्ना मूल्य घोषित नहीं हुआ। किसान गन्ने की खेती आधी कर दें और अन्य फसलों को महत्व दें। इसकी शुरूआत बसंतकालीन गन्ना बुवाई से ही शुरू कर दें। इससे चीनी मिलों का इलाज हो जाएगा। गन्ने की जगह वह लकड़ी की पेराई नहीं कर सकते। ऐसा करने पर समय से भाव भी घोषित होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेरठ रैली में सरकार बनने पर गन्ना मूल्य 450 रुपये करने की घोषणा की थी। जिसके चलते वर्ष 2014 में भाजपा को वोट दी थी, लेकिन वादा आज तक पूरा नहीं हुआ।