बांग्लादेश में मंदिरों में हो रहे हमलों और वहां के हिंदुओं पर अत्याचार के विरोध में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री आज बांग्लादेश पहुंचे। उनके द्वारा हिंदुओं और मंदिरों की सुरक्षा सहित कई मुददों पर अपनी बात मजबूती से रखी जाएगी। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता तथा भारत सरकार का यह प्रयास सराहनीय कह सकते हैं लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं और मंदिरों पर जो लगातार हमले बढ़ते जा रहे हैं उसके प्रति तथाकथित बुद्धिजीवी खामोश क्यों हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका जो विरोध होना चाहिए था वो नजर क्यों नहीं आ रहा है आखिर बांग्लादेश में मानाविधकार के हो रहे उल्लंघन पर जिम्मेदार इतने खामोश क्यों हैं। कब चेतेंगे आगे बढकर बात करने वाले।
बीते दिनों बांग्लोदश में हिंदुओं पर होने वाले अत्याचारों और मंदिरों में तोड़फोड़ के विरोध में उत्तर प्रदेश के जिलों में हिंदू संगठनों सनातन धर्म के साथ भाजपाईयों द्वारा प्रदर्शन किए गए। जिनमें डॉक्टरों शिक्षकों सहित छात्रों ने भी भाग लिया और बड़ी संख्या में सांसद विधायक एमएलसी सहित जनप्रतिनिधि शामिल हुए। सभी ने बांग्लादेश में हो रही घटनाओं पर रोष व्यक्त किया। लेकिन सवाल यह उठता है कि हिंदुओं की सुरक्षा मंदिरों की रक्षा के लिए आवाज उठाना जरूरी है मगर इन प्रदर्शनों का मूल उददेश्य अपना विरोध प्रकट करना और सरकार को इसके लिए कदम उठाने के लिए प्रयास कह सकते हैं लेकिन अगर यह कार्य विरोधी दल करते तो यह सोचा जा सकता था कि सरकार को जगाने के लिए यह किया जा रहा है। लेकिन जहां तक पता है इन सभी प्रकरणों के प्रति सरकार जागरूक भी है और समाधान भी खोज रही है फिर भी प्रदर्शन हुआ तो किसके लिए। सरकार भी इनकी है और उसे सबकुछ करना है तो फिर धरना प्रदर्शन कर जो ताकत दिखाई गई उससे किसका फायदा। जाम लगने से परेशानी और नागरिकों के समय की बर्बादी हुई यह काम अगर शांतिपूर्ण तरीके से पीएम को ज्ञापन भेजकर भी उन्हें अवगत कराया जा सकता था कि जनता में आका्रेश है। बांग्लादेश में इस्कॉन के दो मंदिर जला दिए गए। इस्कॉन के अनुयायी पूरी दुनिया में है। इतने दिनों की खामोशी के बाद अन्य देशों में रहने वाले हिंदू इस हिंसा के खिलाफ अब आवाज उठा रहे हैं मगर यह कहा जा सकता है कि सरकार के स्तर से जो विरोध होना चाहिए था वो शायद अभी नहीं हो रहा।
प्रधानमंत्री जी , रक्षामंत्री जी ओर गृहमंत्री जी आज दुनियाभर में रहने वाले प्रवासी भारतीय और कुछ देशों की सरकार हिंदुओं की भावनाओं को देखते हुए वहां मंदिर बना रहे हे। अभी 28 देशों में स्वामीनारायण के 1800 मंदिर, भारत की आध्यात्मिक विरासत के रूप में मौजूद है। कई देशोंमें हिंदू विरोध अभियान चलते रहे हैं। अगर अब बांग्लादेश में हो रही घटनाओं का विरोध नहीं हुआ तो अन्य पड़ोसी देशों में भी हिंदूओं और मंदिरों के खिलाफ खड़े होने में शायद नहीं चूकें। पूरी दुनिया पीएम मोदी के प्रशंसक है। इसलिए यह पक्का है कि भारत जब राष्ट्रीय स्तर पर बांग्लोदश की घटनाओं का विरोध करेगा तो चारो तरफ से समर्थन मिलेगा। दुनिया जानती है कि बांग्लादेश का अस्तित्व भारत की वजह से है। पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने जो सहयोग दिया वो बांग्लादेश को नहीं भूलाना चाहिए था। कहने का आश्य सिर्फ यह है कि अब बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सरकार कुछ ऐसे कदम उठाए जो बांग्लादेश सरकार इस हिंसा को रोकने पर मजबूर हो जाए। बांग्लादेश से लगे कुछ प्रदेशों के होटलों में बांग्लादेश के नागरिकों को स्थान न देने का निर्णय लिया गया है। इससे यह संदेश जाएगा कि और जगह भी ऐसा हो सकता है। सरकार के साथ अब विपक्षी दलों के नेताओं को भी सरकार का समर्थन करते हुए बांग्लादेश की घटनाओं की निंदा कर उसके खिलाफ मुखर होना चाहिए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
बांग्लादेश में हिंदुओं और मंदिरों के खिलाफ हो रही हिंसा का सरकार सख्ती से करे विरोध, विपक्षी दलों को भी इस मुददे पर खुलकर बोलने की आवश्यकता है
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