Date: 22/11/2024, Time:

आईएएस, आईपीएस, पीसीएस और पीपीएस में वेतन वृद्धि और पदोन्नति को लेकर व्याप्त असंतोष सरकार करे दूर, सभी सेवाओं के अफसरों कर्मचारियों को समय से मिलना ही चाहिए न्याय

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देश की सबसे प्रतिष्ठित प्रशासनिक सेवा आईएएस और आईपीएस तथा प्रदेश की मुख्य प्रशासनिक सेवा से जुड़े पीसीएस और पीपीएस अफसरों में समय से प्रोन्नति और आईएएस, आईपीएस, पीसीएस और पीपीएस के अधिकारियों को प्रोन्नति और नियुक्ति व सुविधाएं सुरक्षा को लेकर असंतोष बना ही रहता है। ऐसा पिछले पांच दशक से तो मैं भी खूब देख रहा हूं। यह बात नहीं है कि यह असंतोष और बराबरी की मांग इन सेवा के अधिकारियों के अलावा की जाती हो क्योंकि तहसीलदार, पीसीएस और अन्य सेवाओं के अधिकारी इस प्रकार की मांग उठाते रहे हैं।
केंद्र हो या प्रदेश की सरकार इस असंतोष को दूर करने के लिए आश्वासन हमेशा ही देती रही हैं और जहां तक पता चलता है इस व्यवस्था को दूर करने के लिए प्रयास भी किए जाते हैं लेकिन वो कौन से कारण है जो मांग के अनुसार सभी को उनके अनुसार समय से पदोन्नति वेतन व पद में बढ़ोतरी क्यों नहीं मिल पा रही है। इसका ध्यान केंद्र व प्रदेश के संबंधित विभागों को अब समय रहते देना ही चाहिए क्योंकि पुलिस प्रशासनिक अफसरों द्वारा अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करने के लिए अन्य सेवाओं के अधिकारियों के मुकाबले ज्यादा जिम्मेदारी से काम किया जाता है। मगर समय से प्रमोशन और वेतन में बढ़ोत्तरी ना होने की कसक इनमें हमेशा ही दिखाई देती रही है। जो कहीं ना कहीं व्यवस्था को पूर्ण बनाने में समय लगा सकती है।
इस संबंध में अमर उजाल समाचार पत्र में छपी एक खबर के अनुसार वर्ष 1996 बैच के पीसीएस अधिकारी 8 साल पहले आईएएस बन चुके हैं, लेकिन उनके समकक्ष 24 पीपीएस अभी आईपीएस बनने की कतार में लगे हैं। हालिया कुछ वर्षों में 30 पीपीएस अफसर आईपीएस बने बिना रिटायर हो चुके हैं, जबकि वर्तमान में 26 पीपीएस का आईपीएस बनने का सपना पूरा शायद नहीं हो पाएगा। पदोन्नति में उनके साथ होने वाला सौतेला व्यवहार इसकी वजह है।
पीपीएस के साथ होने वाले इस व्यवहार की बानगी है कि वर्ष 1996 बैच के कुछ अफसरों को आईपीएस काडर में प्रोन्नत करने का प्रस्ताव संघ लोक सेवा आयोग भेजे लंबा वक्त बीत चुका है, लेकिन आज तक विभागीय प्रोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक होने की नौबत नहीं आई है। इससे पीपीएस अधिकारियों को तनख्वाह में भी नुकसान सहना पड़ रहा है। बता दें कि सालों से पीपीएस अधिकारी अपनी सेवाओं को दुरुस्त करने की फरियाद लगा रहे हैं, लेकिन इसे लगातार अनसुना किया गया। ऐसा नहीं कि इसमें बदलाव का प्रयास नहीं किया गया, पीपीएस काडर रिव्यू को दुरुस्त करने के लिए आईपीएस रेणुका मिश्रा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। हालांकि उनकी संस्तुतियों को आज तक लागू नहीं किया गया। नतीजतन पीपीएस अधिकारी वर्षों से डीजीपी से लेकर मुख्यमंत्री तक अब भी गुहार लगाने को मजबूर हैं।
33 फीसद पद भरे जाते हैं
बता दें कि प्रदेश में आईपीएस काडर के 33 फीसदी पद पीपीएस को प्रदोन्नति देकर भरे जाते हैं। जिन पीपीएस अफसरों की उम्र 56 वर्ष से अधिक हो जाती है, उनके नाम का प्रस्ताव नहीं भेजा जाता है। आईपीएस अफसरों का काडर रिव्यू तो समय पर हो जाता है, लेकिन पीपीएस में लगातार विलंब हो रहा है। वर्ष 2019 में प्रस्तावित काडर रिव्यू तीन वर्ष के विलंब के बाद वर्ष 2022 में हुआ था। नियमतः वर्ष 2024 में फिर काडर रिव्यू होना चाहिए, हालांकि इसके आसार अभी नहीं दिख रहे हैं।
ये हो चुके हैं रिटायर (1991 से 1997 बैच तक)
देवेंद्र नाथ, अशोक कुमार राय, प्रद्युम्न सिंह, विजयपाल सिंह, अजय प्रताप सिंह, रवींद्र कुमार सिंह, ओमप्रकाश पांडेय, जियालाल यादव, रामभवन, हरदयाल सिंह, वीरेंद्र कुमार यादव, हबीबुल हसन, लल्लन प्रसाद, मनोज कुमार, सुखवीर सिंह, राजपाल, अरुण कुमार, अखिलेश्वर पांडेय, राममूरत यादव, अमर सिंह, मंशाराम गौतम, सतीश चंद्र, रामयश सिंह, रामनयन, संसार सिंह, सुखराम भारती, सुरेंद्र प्रसाद द्विवेदी, राममोहन सिंह, अजय कुमार सिंह, महेंद्र प्रताप चौहान।
आईपीएस बने बगैर हो जाएंगे रिटायर
डॉ. मनोज कुमार, धर्मेंद्र सचान, शंभूशरण यादव, पुत्तू राम, सतीश चंद्र, त्रिभुवन राम त्रिपाठी, अरविंद कुमार पांडेय, दिगंबर कुशवाहा, मोहम्मद इरफान अंसारी, अजय प्रताप, नैपाल सिंह, प्रेमचंद्र, सुभाष चंद्र गंगवार, बलरामचारी दुबे, अखिलेश नारायन सिंह, अशोक कुमार वर्मा, अशोक कुमार, डॉ. संजय कुमार, महेंद्र कुमार, राजेश कुमार सोनकर, अजय कुमार सिंह, अशोक कुमार सिंह, रमेश कुमार भारतीय, सत्यपाल सिंह, शिष्य पाल, रफीक अहमद।
इस तरह समझें पदों का गणित
– 1364 पीपीएस अफसरों के पद हैं स्वीकृत
– 1013 पीपीएस अफसर वर्तमान में हैं कार्यरत
– 334 पीपीएस के पद चल रहे हैं रिक्त
– 26 पीपीएस आईपीएस बने बगैर हो जाएंगे रिटायर
नहीं बुलाई गई बैठक
सुखराम भारतीय, (1995 बैच के सेवानिवृत्त पीपीएस अधिकारी एवं पीपीएस एसोसिएशन के पूर्व सदस्य) का कहना है कि पीपीएस काडर के साथ न्याय नहीं हो रहा है। मेरी पदोन्नति का आदेश होने के बावजूद बैठक नहीं बुलाई गई। जिसके बाद 31 जनवरी, 2024 को सेवानिवृत्त हो गया। इसी तरह तमाम अफसर अपनी वर्षों की सेवा के बावजूद आईपीएस अफसर नहीं बन पा रहे हैं।
मेरा मानना है कि देश और प्रदेश के विकास तथा शांति व कानून व्यवस्था की बहाली और भयमुक्त वातावरण बना रहे इसके लिए जरूरी है कि सरकार इस असंतोष को जल्द से जल्द दूर कर सभी सेवाओं के अधिकारियों को समय से न्याय प्रोन्नति और वेतन में बढ़ोत्तरी का लाभ मिल पाए ऐसी पारदर्शी व्यवस्था स्थापित की जानी चाहिए क्योंकि यह वक्त की मांग भी है और इनकी मेहनत को देखते हुए इंसाफ देने की जरूरत भी। तथा सेवानिवृति से अगर पांच सात दिन पहले रिटायर होता है तो और उसे कुछ दिनों बाद अगला प्रमोशन होता है तो वो दिया जाए क्योंकि लगभग 30 साल की सेवा का जो पुरस्कार मिलना है उसे पांच सात दिन के लिए रोका नहीं जाना चाहिए। क्योंकि सरकारी नौकरियों में वेतन वृद्धि और पदोन्नति ही सबसे बड़ा पुरस्कार कह सकते हैं। इस बात को ध्यान रखते हुए सभी सरकारी सेवाओं के अफसरों कर्मचारियों को समय से न्याय मिलना ही चाहिए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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