सरकार केंद्र की हो या प्रदेश की उसके नेताओं मंत्रियों द्वारा गरीबी समाप्त और बेरोजगारों को रोजगार देने के भरपूर दावे किए जा रहे हैं। बीते दिनों केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश बजट में भी बेरोजगारों और गरीबों के संदर्भ में उन्हें सुविधाएं दिलाने के दावे किए गए हैं। ऐसा हमेशा ही होता रहा है। दूसरी तरफ बीते दिवस केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम में कहा कि मुंबई कोलकाता चेन्नई व बेंगलुरू जैसे महानगरों में बहुत सारी समस्याएं देख रहे हैं। पहले हम किसानों को अन्नदाता कहते थे लेकिन हमारी सरकार ने उन्हें उर्जादाता भी बना दिया है। देश में फलैक्स इंजन वाले वाहन आ रहे हैं एथेनॉल को पंप तक ले जा रहे हैं जिससे किसानों की आय बढ़ेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि शहरी इलाकों की ओर इसलिए भी पलायन हो रहा है क्योंकि कृषि उपज का उचित दाम नहीं मिल रहा है। बेरोजगारी के कारण ग्रामीण शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं जो कई समस्याओं का कारण भी है। अगर ध्यान से सोचें तो गडकरी ने वर्तमान परिस्थितियों का सही आंकलन किया है क्योंकि जितना सुनने को मिलता है सरकार तो पूर्ण रूप से उपर दिए गए बिंदुओं के संदर्भ में काम कर रही है और बजट भी उपलब्ध करा रही है लेकिन सही देखभाल ना होने और संबंधित विभागों के अफसरों द्वारा जिम्मेदारियों का निर्वाहन सही प्रकार से ना किए जाने के चलते ही शायद गरीबी बेरोजगारी और किसानों को लेकर नितिन गडकरी ने उक्त शब्द दोहराए लगते हैं। यह भी पक्का है कि यह सब महानगरों से ही नहीं देश के तमाम कस्बों नगरों से देहात से विभिन्न कारणों के चलते उक्त शब्द केंद्रीय मंत्री को दोहराने पड़े। मेरा मानना है कि सरकार इस श्रेणी के लोगों से संबंध विकास कार्यों में लगे अफसरो की कार्य प्रणाली पर निगरानी करे तो यह पलायन की होड़ रूक सकती है तथा शहरों में जो आबादी का दबाव बढ़ रहा है वो भी रूक सकता है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
गरीबों और बेरोजगारों व किसानों के लिए सरकार तो कर रही है व्यवस्था, फिर भी पलायन क्यों ?
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