धार्मिक व स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े मेरठ जिले से लेकर दिल्ली तक आवागमन की जो सरल सुविधा तैयार हो रही है वो काबिले तारीफ है और इसके लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा पीएम मोदी के मार्गदर्शन में जो एक्सप्रेस वे , रैपिड रेल तैयार कराए जा रहे हैं उसके हम उनका आभार व्यक्त करते हैं। इससे मेरठ का चिकित्सक वर्ग भी काफी उत्साहित है। लेकिन जो कहा जा रहा है कि एक डॉक्टर पर 1700 से ज्यादा मरीजों की जिम्मेदारी है तो जब शहर में आवागमन सुविधा अच्छी होगी तो अस्पताल व डॉक्टर भी इधर का रूख करेंगे इससे इनकार नहीं किया जा सकता। मेरा मानना है कि जिस प्रकार से सुविधाएं बढ़ाई जा रहे हैं उस हिसाब से शहर में जाम से मुक्ति के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए और जो हॉस्पिटल बनाए जा रहे है। वो मानचित्र पास कराकर बनवाए जाएं और इनमें सफाई व चिकित्सा सुविधा उच्चस्तरीय हो। वर्तमान में कुछ डॉक्टरों द्वारा जो मरीजों को देखने की फीस, कमरे ना होने और सुविधाओं का अभाव के बाद भी इलाज के नाम पर जो वसूली की जाती है और आए दिन पढ़ने को मिलता है कि मरीज को परेशान किया गया उसमें डॉ. तनुराज सिरोही, डॉ. राजीव अग्रवाल डॉ महेश बंसल, डॉ अनुज रस्तोगी आदि को ऐसी व्यवस्था जरूर करानी चाहिए जो डॉक्टरों की छवि अच्छी बने और मरीज बिना डर के वहां तक पहुंच सके। कुछ साल पहले मेरे द्वारा अपनी आंखों का इलाज दिल्ली के एक अस्पताल मंें कराया गया और मैं आज भी वहां लोगांें को भेजता हूं। जो डॉक्टरों व मरीजों की राय बनती है वो ज्यादातर ठीक नहीं होती। कहने का आश्य है कि सरकार जो आवागमन की सुविधाएं उपलब्ध करा रही है उसे अपनाते हुए डॉक्टर अपनी नियमावली निर्धारित करें और यह भी ध्यान दें कि कुछ मरीजों को फ्री देखा जाए जिससे मेरठ की जो चिकित्सा के मामले में छवि है वो सुधर सके।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सरकार तो सुविधा उपलब्ध करा ही रही है, डॉक्टर्स भी अपने लिए तय करें !
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