उप्र के लखीमपुर खीरी में सहकारी बैंक के चुनाव में नामांकन के दौरान वकील और विधायक में जो मारपीट की घटना सामने आई है। वो समाजहित में एक गंभीर प्रकरण कह सकते हैं। क्योंकि विधायक जनप्रतिनिधि है तो वकील आम आदमी को न्याय दिलाने का काम करते हैं। इस श्रेणी के नागरिक अगर सड़क पर ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं तो उसे ठीक नहीं कहा जा सकता।
बताते चलें कि देशभर में आए दिन किसी ना किसी संस्था के चुनाव होते रहते हैं। अब अगर ऐसी घटनाएं होना शुरू हो जाएंगी तो जिस अराजकता को रोकने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ प्रयास कर रहे हैं उसमें बढ़ोत्तरी होने से इनकार नहीं किया जा सकता। अभी चल रहे रहे इसी श्रेणी के चुनाव में जिस तरह से धरना आंदोलन गन्ना समिति के चुनाव के दौरान मेरठ में हुआ वो फिलहाल तो डीएम दीपक मीणा के जांच कराने के आश्वासन पर समाप्त हो गया। लेकिन भविष्य में वो क्या रूप से ले सकता है यह सोचने का विषय है और खासकर शासन और सरकार को ऐसी घटनाओं जिन्हें लेकर अराजकता की स्थिति बनने की संभावना हो उन्हें रोकने के लिए होने चाहिए उपाय। अगर ऐसा नहीं होता है तो किसी भी समय किसी बड़ी घटना के होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
दुखदायी है वकील और विधायक के बीच मारपीट
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