Date: 22/12/2024, Time:

10 मई को खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट

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रुद्रप्रयाग 25 अप्रैल। इस साल केदारनाथ धाम के कपाट 10 मई को खुल रहे हैं. मंदिर के कपाट विशेष पूजा-अर्चना के साथ खुलेंगे. इसी दिन से चारधाम यात्रा भी शुरू होगी. इस वक्त चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया चल रही है. पिछले साल की तरह ही इस साल भी बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी श्रद्धालु केदारनाथ के दर्शन नहीं कर पाएगा. उत्तराखंड के गढ़वाल स्थित केदार नामक चोटी पर बना केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इसे भगवान शिव का विशेष धाम माना गया है. इस मंदिर की अपनी धार्मिक और पौराणिक मान्यताएं हैं. मंदिर नर और नारायण पर्वत के बीच में बसा हुआ है. पौराणिक कथा के मुताबिक, हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उनकी प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर दिया.
पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत के बाद पांडवों के स्वर्ग जाते वक्त भगवान शिव ने भैंसे के रूप में उन्हें दर्शन दिए जो बाद में धरती में समा गए. धरती में पूर्णत: समाने से पहले भीम ने भैंसे की पूछ पकड़ ली. जिस स्थान पर भीम ने यह किया उसे वर्तमान में केदारनाथ धाम के नाम से जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि पांडवों के निर्माण के बाद यह मंदिर लुप्त हो गया था.इसके बाद आठवीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने भगवान शिव के इस मंदिर का फिर से निर्माण करवाया. ऐसा भी कहा जाता है कि केदारनाथ मंदिर 400 सालों तक बर्फ में दबा रहा था. वैज्ञानिक भी मानते हैं कि 13वीं से लेकर 17वीं सदी तक छोटा सा हिमयुग आया था जिस दौरान यह मंदिर बर्फ में दबा रहा. केदारनाथ मंदिर के पीछे आदिशंकराचार्य की समाधि है. आदि शंकराचार्य के बाद मंदिर का जीर्णोद्धार होते रहा. 10वीं सदी में मालवा के राजा भोज और फिर 13वीं सदी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया.

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