आज की सुखद महिलाओं की सुरक्षा और उनकी समस्याओं की खबरों की सुर्खियों में रही। क्येांकि एक तरफ अब सिर्फ दारूल उलूम में घूम सकेंगी महिलाएं की खबर पढ़ने को मिली तो दूसरी तरफ पत्रकार ने किस सोच के तहत महिलाओं के पास ना काम और ना कौशल की खबर छापी यह तो वो ही जान सकते है। लेकिन मेरा मानना है कि जितना अब महिलाएं शिक्षित जागरूक और क्रियाशील है शायद कभी नहीं रही। उनके मान सम्मान की बात करें तो वो पूजनीय रही है काम की बात है तो महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है। तो ज्यादातर परिवार की खुशहाली और बच्चों को योग्य बनाने में अपना योगदान दे रही है बाकी का बड़ा हिस्सा शिक्षा भाईचारा सदभाव बढ़ाने के साथ कमजोरों को प्रोत्साहित करने में अपनी भूमिका निभा रही है। मैं हमेशा इस बात का मानना वाला रहा हूं ग्रामीण निरक्षर महिला भी किसी शिक्षित महिला से ज्यादा काबिल और मैनेजमेंट गुरू की भूमिका निभाती हूं। एक दो प्रतिशत ही काम और कौशल से वंचित हो तो उससे इनकार नहीं किया जा सकता। सामूहिक रूप से उन्हें कौशल विहीन भी नहीं कहा जा सकता। बीते दिवस राज्य महिला आयोग की ओर से समाचार पढ़ने को मिला कि औरतों के कपड़ों की नाप सिर्फ महिला लेंगी। महिलाओं के बाल सिर्फ महिलाएं ही काटेंगी। यह अच्छी बात है। इससे भी कुछ महिलाओं को काम मिलेगा। यूपी महिला आयोग की सदस्य डॉ. हिमानी अग्रवाल का कहना है कि राज्य महिला आयोग का यह निर्णय सराहनीय है। इसे जल्द लागू किया जाएगा। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर इस निर्णय के सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। अभी पूर्व में महिलाओं के खिलाफ महाराष्ट में एक टिप्पणी का खुलकर विरोध हो रहा है तो फिर यही कहा जा सकता है कि ना तो महिलाएं कमजोर है और ना ही खाली। अन्य क्षेत्रों में उनका महत्व बना रहे उनकी सुरक्षा बनी रहे और महिलाओं को काम मिल सके इसमें यूपी महिला आयोग का निर्णय सराहनीय है। मेरा मानना है कि बीती 28 अक्टूबर को हुई महिला आयोग की बैठक में लिया गया निर्णय लागू कराया जाए। इससे गलत प्रकार से छूने के प्रति जागरूकता आएगी और ऐसा करने वालों में कार्रवाई का डर बैठेगा।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
महिला आयोग का निर्णय है सराहनीय, मगर महिला कमजोर और खाली कौशलविहीन नहीं है
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