Date: 22/11/2024, Time:

हिमाचल की स्थिति में सुधार हेतु सही है मुख्यमंत्री का निर्णय, पक्षी और विपक्ष को जनहित में देना चाहिए साथ

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गंभीर आर्थिक स्थिति के चलते हिमाचल सरकार के मुखिया सीएम सुक्खू द्वारा मंत्रियों का वेतन रोक दिया गया तथा विधायकों और संसदीय सचिवों का वेतन भी निलंबित किया और साथ ही पक्ष और विपक्ष के विधायकों से भी वेतन ना लेने का आग्रह किया गया है। हिमाचल जैसे संपन्न प्रदेश में यह स्थिति क्यों उत्पन्न हुई यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि जब तक यह चुनावी रेवड़ियां और उन पर खर्च होने वाले भारी धन को रोका नहीं जाएगा तब तक हिमाचल ही नहीं भविष्य में अन्य प्रदेशों में भी ऐसी स्थिति उत्पन्न होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। मेरा मानना है कि पक्ष हो या विपक्ष किसी भी प्रदेश में अगर ऐसी कठिनाई उत्पन्न हो रही है तो केंद्र सरकार को उसमें भरपूर मदद हेतु आगे आना चाहिए क्योंकि यह स्थिति किसी के भी सामने खड़ी हो सकती है। इस संबंध में प्राप्त खबर के अनुसार विधानसभा में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य की गंभीर वित्तीय स्थिति को लेकर दो महीनों तक मंत्रिमंडलीय सहयोगियों सहित मुख्य संसदीय सचिवों के साथ-साथ सरकार में कैबिनेट दर्जा प्राप्त आठ सलाहकारों व सार्वजनिक उपक्रमों के अध्यक्ष-उपाध्यक्षों के वेतन व भत्तों को विलंबित करने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री सुक्खू द्वारा सदन में पढ़े गए वेतन-भत्तों से जुड़े वक्तव्य का स्पष्ट अभिप्राय है कि मंत्रियो, सरकारी कर्मचारियों को राज्य पर गहराई वित्तीय स्थिति को समझना होगा और निकट भविष्य में प्रदेश हित में कई कठोर कदम उठाए जा सकते हैं। जिसके लिए सरकार के प्रत्येक अंग को तैयार रहना होगा।
क्या बोले सीएम सुक्खू?
विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को सदन में ये घोषणा करनी पड़ी कि राज्य की खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए मैं, मेरे मंत्रिमंडल के सभी मंत्री, मुख्य संसदीय सचिव और कैबिनेट रैंक प्राप्त सलाहकार और सार्वजनिक उपक्रमों के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष दो माह तक के लिए वेतन भत्ते लेना विलंबित करेंगे। मुख्यमंत्री, मंत्रियों, मुख्य संसदीय सचिवों व कैबिनेट दर्जा प्राप्त आठ लोगों के वेतन-भत्तों को जोड़ लिया जाए तो 1.28 करोड़ रुपये नहीं चुकाने पड़ेंगे। तीसरे महीने नवंबर में वेतन-भत्तों का भुगतान करने के लिए सरकार को एकमुश्त 2.74 करोड़ चाहिए होंगे।
मुख्यमंत्री ने बताई वित्तीय स्थिति
सीएम ने कहा कि राजस्व घाटा अनुदान जो वर्ष 2023-24 में 8058 करोड़ रुपये थी। वह इस वर्ष 1800 करोड़ रुपये कम होकर 6258 करोड़ रुपये हो गई है। अगले वर्ष (2025-26) में यह 3000 करोड़ रुपये और कम होकर 3257 करोड़ रुपये रह जाएगी। एनपीएस कर्मचारियों की पीडीएनए की लगभग 9042 करोड़ रुपये की राशि में से केंद्र सरकार से अभी तक कोई भी राशि प्राप्त नहीं हुई है। एनपीएस कंट्रीब्यूशन के लगभग 9200 करोड़ रुपये पीएफआरडीए से प्राप्त नहीं हुए हैं, जिसके लिए हम केंद्र सरकार से कई बार अनुरोध कर चुके हैं। जीएसटी कंपनसेशन जून 2022 के बाद मिलना बन्द हो गया है, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 2500-3000 करोड़ की आय कम हो गई है। उन्होंने कहा कि ओपीएस बहाल करने के कारण हमारी उधार लेने की सीमा भी लगभग 2000 करोड़ से कम कर दी गई है। इन परिस्थितियों से पार पाना आसान नहीं है। हमने प्रदेश सरकार की आय बढ़ाने और गैर उत्पादक खर्चों को कम करने का प्रयास किया है। इन प्रयासों के परिणाम आने में समय लगेगा।
चुनावी रेवड़ियों पर खर्च हो रही रकम
बताते चलें कि विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने दस चुनावी रेवड़ियां देने का एलान किया था। जिसके तहत महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये देने की शुरूआत हुई है, जिसके लिए सालाना 1000 करोड़ का बजट रखा गया है। गोबर खरीद, दूध खरीद, 300 यूनिट निशुल्क बिजली देने की शुरूआत नहीं हो पाई है। राजस्व जुटाने के लिए उठाए गए कदमों से नुकसान हुआ। जैसे कि ओपीएस लागू करने से 2.5 प्रतिशत अतिरिक्त ऋण सुविधा हाथ से चली गई। राज्य जल आयोग का गठन किया गया था और सालाना 3200 करोड़ की आय होने के बजाए मामले अदालतों में पहुंचे। केंद्र प्रायोजित योजनाओं से दो हजार करोड़ की विकासात्मक परियोजनाएं चल रही है।
विषम वित्तीय स्थिति के लिए पूर्व सरकार जिम्मेदार
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश के विषम वित्तीय हालात के लिए पूर्व सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने सदन के भीतर एवं बाहर कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने सरकारी खजाने को लुटाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के आर्थिक प्रबंधन से स्थिति में लगातार सुधार आ रहा है तथा सरकार राजस्व बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार ने डी.ए. और एरियर की बकाया राशि को शीघ्र चुकता करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए बड़े होटलों को मिलने वाली बिजली की सब्सिडी बंद की है।
दूसरी ओर जयराम ठाकुर ने बोला हमला
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने वेतन-भत्ते छोड़े नहीं है, उसे 2 माह के विलंब के बाद लेंगे। उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि सरकार सीपीएस को हटाने के अलावा कैबिनेट रैंक की फौज को कम करती। उन्होंने कहा कि आज सरकार कर्मचारियों के वित्तीय लाभ रोककर उनसे बातचीत करने की बजाए उनको नोटिस दे रही है।
प्रदेश और देश हित में तथा आम आदमी की कठिनाई दूर करने और सरकार की आर्थिक स्थिति सही हो इसके लिए फ्री के जो उपहार दिए जा रहे हैं वो बंद हो क्येांकि जब तक मुफत का चंदन घिस मेरे नंदन की कहावत को त्यागा नहीं जाएगा तब तक स्थिति और भी खराब हो सकती है। सरकार मजबूत हो और आर्थिक रूप से सही हो और उसे किसी की ओर ताकना ना पड़े उसके लिए जनप्रतिनिधियों व नौकरशाहों की फालतूू खर्च पर रोक लगे और जो मुफत की देने की योजनाएं चल रही है वह बंद हो तभी स्थिति मजबूत हो सकती है। जहां तक सीएम के प्रयासों का सवाल है तो वो भरपूर प्रयास इसमें कर रहे हैं और सफल भी होंगे। आवश्यकता इस बात की है कि उनके सहयोगी उनकी मदद करने आगे आएं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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