हरियाणा विधानसभा चुनावों के परिणाम क्या होगा यह तो मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा लेकिन फिलहाल यहां अच्छी स्थिति में बताई जा रही कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की पहली बैठक में प्रभारी दीपक बवारिया ने किसी भी सांसद को विधानसभा चुनाव लड़वाने से साफ इनकार किया है। खबरों से पता चलता है कि पिछले दिनों सिरसा की सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा ने हरियाणा की सक्रिय राजनीति करने और विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी जिसके बाद यह निर्णय हुआ बताते हैं। कुमारी शैलजा काफी मजबूत कांग्रेस नेता हैं और अपने चुनाव क्षेत्र सहित पूरे प्रदेश में उनका प्रभाव है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुडडा भी किसी से कम नहीं है। कुछ लोगों का कहना है कि दीपक बवारिया पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुडडा के प्रति नरम रूख रखते हैं इसलिए उनके द्वारा यह निर्णय लिया गया।
कारण कोई भी हो लेकिन अगर देखें तो किसी भी सांसद को विधानसभा का चुनाव ना लड़ाने का निर्णय हर तरह से पार्टी और जनहित का होता है। क्योंकि सांसद को इस्तीफा दिलाकर विधायक का चुनाव लड़ाने पर खर्च होता है और पार्टी के एक नेता की सीट पर अवैध कब्जा सा हो जाता है। अगर सांसद चुनाव हार गए तो और समस्याएं खड़ी हो जाती है और सांसद को चुनाव लड़ाने से खाली सीटों पर जो चुनाव होते हैं उस पर धन की बर्बादी होती है इसलिए हरियाणा में जो यह निर्णय हुआ वो उचित है अगर जम्मू कश्मीर और अन्य प्रदेश में होने वाले चुनावों में सांसद को विधायक का और विधायक का सांसद का चुनाव लड़ाने पर कांग्रेस अपने यहां फैसला ले ले तो अन्य दलों को भी इस पर विचार करना होगा और जनता भी आवाज उठा सकती है क्योंकि चुनाव पर पैसा और समय जो खर्च होता है उसका खामियाजा कही ना कहीं आम आदमी को उठाना पड़ता है। इसलिए यह निर्णय कुमारी शैलजा को ध्यान में रखकर लिया गया हो लेकिन पार्टी अगर इस पर टिकी रहती है तो मुझे लगता है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तथा प्रमुख नेता सोनिया गांधी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी पार्टी सांसद या विधायक को इस्तीफा देकर चुनाव नहीं लड़ाएगी।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
हरियाणा में सांसद को विधायक का चुनाव ना लड़ाने का फैसला है उचित, कांग्रेस इसेे देशभर में करे लागू
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