मुंबई 02 दिसंबर। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कई विपक्षी दल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। हालांकि विपक्ष के इस दावे को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया है। वहीं दूसरी ओर ईवीएम पर विपक्ष के सवालों के बीच एक वायरल वीडियो में कुछ लोगों को ईवीएम में कथित हेरफेर की योजना बनाते दिख रहे हैं।
महाराष्ट्र सीईओ कार्यालय ने सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो साझा किया और कहा कि इस वीडियो में महाराष्ट्र चुनावों में ईवीएम को हैक करने और छेड़छाड़ करने के झूठे आधारहीन दावे किए जा रहे हैं। मुंबई साइबर पुलिस ने सीईओ महाराष्ट्र से शिकायत मिलने के बाद इस वीडियो में दिख रहे व्यक्ति के खिलाफ 30 नवंबर की रात को साइबर पुलिस स्टेशन, दक्षिण, मुंबई में एफआईआर संख्या 0146/2024 दर्ज की है।
शुजा का 14 नवंबर को एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें उसने दावा किया था कि वह अमेरिकी रक्षा विभाग की तकनीक का इस्तेमाल कर महाराष्ट्र चुनाव में इस्तेमाल की जाने वाली ईवीएम को हैक कर सकता है। आरोप है कि उसने कई नेताओं को ऑफर दिया था कि उसे 53 करोड़ दिए जाएं तो वह 63 सीटों पर ईवीएम को हैक कर सकता है।
महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने वायरल वीडियो को फर्जी बताते हुए शुजा के दावों को निराधार, झूठा और अप्रमाणिक बताते हुए मुकदमा दर्ज कराया। शुजा साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर है। वह हैदराबाद मूल का है और फिलहाल कनाडा में रहता है। शुजा ने 2019 में लंदन की प्रेस कॉन्प्रेंस में भी इसी तरह का दावा किया था। इसके बाद उसके खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। चुनाव आयोग फिर दोहराया है कि ईवीएम स्टैंडअलोन, टैम्पर-प्रूफ डिवाइस है। यह पूरी तरह सुरक्षित है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद कई उम्मीदवारों ने ईवीएम में माइक्रो कंट्रोलर के वेरिफिकेशन के लिए आवेदन किया। बारामती से अजित पवार से हारने वाले उनके भतीजे और राकांपा (शरद) के प्रत्याशी युगेंद्र पवार ने 19 ईवीएम के माइक्रो कंट्रोलर को सत्यापित करने के लिए जिला प्रशासन के पास 8.96 लाख का भुगतान किया। अन्य सीट से राकांपा के उम्मीदवार प्रशांत जगताप और कांग्रेस के उम्मीदवार रमेश बागवे ने भी आवेदन किया है। पुणे जिले के 11 निर्वाचन क्षेत्रों के उम्मीदवारों ने 137 ईवीएम सेटों में माइक्रो कंट्रोलर के सत्यापन का अनुरोध करते हुए 66.64 लाख रुपए जमा कराए हैं।