asd सलमान रुश्दी की किताब पर 1988 में लगा बैन अब रद़्द, दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

सलमान रुश्दी की किताब पर 1988 में लगा बैन अब रद़्द, दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

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नई दिल्ली 08 नवंबर। राजीव गांधी ने 1988 में सलमान रुश्दी की विवादास्पद किताब ‘द सैटेनिक वर्सेस’ के इम्पोर्ट पर बैन लगाया था। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। अब कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई बंद कर दी है।

कोर्ट ने कहा कि अफसर बैन को लेकर कोई भी नोटिफिकेशन पेश करने में नाकाम रहे। इससे माना जा सकता है कि बैन का आदेश मौजूद ही नहीं है। जस्टिस रेखा पल्ली और जस्टिस सौरभ बनर्जी की बेंच ने यह फैसला 5 नवंबर को सुनाया था।

किताब के इम्पोर्ट को लेकर 2019 में संदीपन खान नाम के शख्स ने एक याचिका लगाई थी। संदीपन ने कहा, उन्होंने ‘द सैटेनिक वर्सेज’ किताब मंगवाई थी, लेकिन कस्टम विभाग की तरफ से 36 साल पहले जारी किए गए नोटिफिकेशन के चलते बुक इम्पोर्ट नहीं हो सकी। हालांकि, नोटिफिकेशन न तो किसी आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध था और न ही किसी संबंधित अधिकारी के पास इससे जुड़े दस्तावेज मौजूद थे।

अदालत के इस फैसले ने 30 साल से अधिक समय से जारी इस प्रतिबंध को समाप्त करने की दिशा में कदम उठाया है, जिससे यह विवादास्पद किताब फिर से पाठकों तक पहुंच सकेगी।

1988 में लगाया गया था प्रतिबंध
सलमान रुश्दी की किताब पर 1988 में राजीव गांधी सरकार ने प्रतिबंध लगाया था। इस किताब को मुस्लिम समुदाय द्वारा धर्म-विरोधी और आपत्तिजनक माना गया था। इसके चलते दुनियाभर में किताब को लेकर कई विरोध प्रदर्शन हुए थे। किताब के खिलाफ हुई हिंसा के कारण कई देशों ने इसे अपने यहाँ प्रतिबंधित कर दिया था, जिसमें भारत भी शामिल था, जो मुस्लिम आबादी वाला एक बड़ा देश है।

इस केस में याचिकाकर्ता संदीपन खान ने कोर्ट में दलील दी थी कि उनके पास किताब को भारत में लाने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने यह तर्क दिया कि 1988 में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई थी, लेकिन इस अधिसूचना की प्रति न तो किसी सरकारी दस्तावेज़ में थी और न ही किसी संबंधित विभाग के पास। कोर्ट ने इस पर ध्यान देते हुए इस मामले को अब समाप्त मान लिया है।

सलमान रुश्दी के खिलाफ जारी हुआ था फतवा
1989 में ईरान के सुप्रीम नेता अयातुल्ला खुमैनी ने रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी किया था, जिसमें मुस्लिमों से रुश्दी की हत्या करने की अपील की गई थी। इस फतवे के बाद रुश्दी को अपनी जान बचाने के लिए छिपकर रहना पड़ा। पिछले वर्ष अगस्त 2022 में न्यूयॉर्क में एक लेक्चर के दौरान उन पर हमला हुआ था, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

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