आदमी में अगर इच्छाशक्ति और अपना सम्मान बनाए रखते हुए आगे बढ़ने का जज्बा हो तो वह किसी भी परिस्थिति में जीवनयापन करते हुए उसे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। यह बात आज ही नहीं पूर्व काल में भी हमारे बुजुर्गो द्वारा साबित की जा चुकी है।
बीते दिवस पूरे देश में दिव्यांग दिवस मनाया गया। इस अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर संस्थाओं और सरकारों ने अनेको आयोजन किए तथा दिव्यांगों को उनकी उपलब्धि के लिए सम्मानित भी किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस अवसर पर कहा कि दिव्यांगों की उन्नति के लिए दस वर्षों में मजबूत नींव रखी गई जिसके तहत उन्हें सम्मान व सुविधा तथा आगे बढ़ने के मौके उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दिव्यांगों ने यह साबित कर दिया कि वो किसी से कम नहीं । उन्होंने राज्य के अंदर दो दिव्यांग विद्यालय होने की बात करते हुए कहा कि कॉलेजों की संख्या और बढ़नी चाहिए। अलग अलग क्षेत्रों में दृष्टिबाधित मूक बधिर बच्चों के लिए वि़द्यालय संचालित हो रहे है। सीएम योगी ने कहा कि राज्य के अंदर दो-दो दिव्यांग विश्वविद्यालय (लखनऊ में डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय व चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य विश्वविद्यालय) है।
इस मौके पर इनके हित में दिव्यांग एक्ट 2016 लागू करने की बात भी सामने आई। मेरा मानना है कि इरादें मजबूत हो तो दिव्यांगता हमारे लिए कष्टदायक नहीं रहेगी। लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि आरक्षण की मांग को लेकर आज भी अगर दिव्यांगों द्वारा प्रदर्शन किए जा रहे हैं तो यह कहने में कोई हर्ज नहीं है कि कहीं ना कहीं कोई कमी व्यवस्था में है। जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। क्योंकि यह बात सही है कि पहले पेंशन इनके लिए 300 थी अब एक हजार कर दी गई है लेकिन सभी जानते हैं कि ना पहले दस रूपये रोज और अब 33 रूपये रोज में कोई भी व्यक्ति पूरे दिन चाय की व्यवस्था भी आसानी से नहीं कर पाएगा। देश में महर्षि अष्टावक्र महाकवि सूरदास भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिन्स और जगतगुरू रामभद्राचार्य इस बात के उदाहरण है कि कोई भी व्यक्त्ति अपने निश्चय पूर्ण कर सकता है। इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु और पीएम मोदी व यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ आदि ने अनेकों घोषणाएं भी की और दिव्यांगजनों का उत्साह बढ़ाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित भी किया। बाकी तो सब जानते हैं कि अब ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां दिव्यांगों ने अपनी सफलता के झंडे ना फहराएं हो। बीते दिवस इन्हें सशक्त बनाने के लिए सक्रिय संस्थाओं को राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु द्वारा प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि हर स्तर पर इनकी समस्याओं के समाधान और सम्मान देने के लिए काफी काम हो रहा है। वैसे तो सब जानते हैं कि इच्छाएं कभी पूरी नहीं होती लेकिन अगर आशा रखी जाए तो कई समस्याओं का आसानी से समाधान हो सकता है फिर भी अगर दिव्यांग प्रदर्शन कर रहे हैं तो मुझे लगता है कि इनकी कुछ कठिन समस्याओं के समाधान खोजने के लिए काम ना करने योग्य हर विकलांग को सौ गज का घर, रोजगार परिवार पालन हेतु वरना 20 हजार हर माह पेंशन और इनके लिए जो नियम बने हैं उन्हें लागू करने के साथ ही इनका हौंसला बढ़ाने हेतु जिस प्रकार से खेलों में इनकी सहभागिता हो रही है उसी प्रकार हर राजनीतिक दल को अपने नगर और देहातों से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक संगठनों की ईकाई में किसी सम्माजनक पद पर एक दिव्यांग को मौका दिया जाए तथा जिस प्रकार से पूर्व में जयपाल रेडडी जो चल फिर नहीं सकते थे केंद्रीय सूचना मंत्री रहे उसी प्रकार सभी प्रदेशों व केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक एक मंत्री दिव्यांग जरूर बनाए तथा लोकसभा राज्यसभा विधानसभा में एक प्रतिशत का आरक्षण इन्हें देकर इन्हें सभी दल चुनाव लड़ाएं तथा सरकारी पदों पर भी पात्र दिव्यांगों की भर्ती हो जिससे समाज में इनका सम्मान और प्रभाव कायम हो। पीएम मोदी द्वारा जिस प्रकार इन्हें दिव्यांगजन का संबोधन दिया गया उसे आत्मसात कर हमें भी चाहिए कि हम इनका हर तरह से सहयोग सम्मान करें क्योंकि यह भी हमारे कुछ परिवारों में से है। और एक प्रकार से इनसे आत्मा का जुड़ाव भी होने से इनकार नहीं किया जा सकता। सरकार जो प्रयास कर रही है उसके लिए पीएम मोदी व सीएम योगी का आभार भी जताया जाना चाहिए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
पीएम मोदी व सीएम योगी का आभार, दिव्यांगजनों को रहने को मकान, हर माह 20 हजार पेंशन और राजनीतिक दल आरक्षण देकर संसद और विधानसभा में तय करें इनकी सहभागिता
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