नोएडा 18 अक्टूबर। नोएडा में बैंक के लॉकर में रखे 5 लाख रुपए के नोट दीमक खा गईं। करीब 3 महीने बाद जब कस्टमर ने लॉकर खोला तो उसके होश उड़ गए। उसने तुरंत बैंक प्रबंधन ने शिकायत की। कहा कि उसे 5 लाख रुपए दिलाए जाए। हालांकि, बैंक प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिए। उल्टा कस्टमर से कहा कि लॉकर में रुपए नहीं रखने चाहिए। रुपए के लिए अकाउंट है। फिलहाल, पीड़ित कस्टमर ने बैंक के सीनियर अफसरों से शिकायत की है।
पूरा मामला नोएडा के सेक्टर-51 स्थित सिटीजन कोआपरेटिव बैंक का है। यहां कस्टमर ने अपने लॉकर में 5 लाख रुपए और ज्वैलरी रखी। 3 महीने बाद जब वह लॉकर चेक करने पहुंचा तो देखा कि तो नोट के बंडल को दीमक खा गई।
पीड़ित कस्टमर के मुताबिक, 2 लाख रुपए के नोट को दीमक पूरी तरह से खा गई। जबकि 3 लाख रुपए के नोट ऐसे कर दिए कि वह बाजार में नहीं चल सकते हैं। कस्टमर ने बैंक से कहा कि उसे 2 लाख रुपए दिए जाएं। साथ ही, 3 लाख रुपए के जो नोट दीमक ने कुतर दिए हैं, उसे एक्सचेंज किया जाए।
इधर, लॉकर में दीमक लगने का पता चलते ही बैंक मैनेजर ने सभी लॉकर होल्डरों से संपर्क किया। कहा-अपना-अपना लॉकर आकर चेक कीजिएगा। इसके बाद बैंक में लॉकर चेक करने वालों की भीड़ लग गई।
कस्टमर ने बैंक पर सवाल खड़े किए हैं। कहा- बैंक प्रबंधन की ओर से दो से 12 हजार रुपये तक लॉकर शुल्क के रूप में लिया जाता है। ऐसे में लॉकर में रखे सामान की सुरक्षा की जिम्मेदारी बैंक प्रबंधन की होती है। बैंक की लापरवाही से यदि कोई संपत्ति नष्ट होती है, तो लॉकर के किराये का 100 गुना तक मुआवजा दिए जाने का प्रविधान है। लॉकर परिसर को वर्ष में कम से कम दो बार कीटनाशक से ट्रीटमेंट कराया जाना चाहिए। शाखा में यह कार्य नहीं किया गया है, जिससे लॉकर में दीमक लग गया।कस्टमर ने कहा कि बैंक ने लापरवाही की। दीमक का ट्रीटमेंट नहीं कराया गया। वहीं, बैंक मैनेजर आलोक कुमार ने स्वीकार किया कि बैंक की दीवार में सीलन है। इस वजह से दीमक लगी है, लेकिन अन्य लॉकर इसकी चपेट में नहीं आए।
बैंक की सीनियर मैनेजर इंदु जैसवाल ने कहा-लॉकर कस्टमर की सुविधाओं के लिए होता है। इसमें जरूरी दस्तावेज, संपत्ति के कागजात, कीमती आभूषण समेत अन्य आइटम को रखा जा सकता है, लेकिन लॉकर में पैसा नहीं रखा जा सकता है। लॉकर में नोट रखना आरबीआई की गाइडलाइन का उल्लंघन है।
बैंक अधिकारी ने बताया कि लॉकर देने के बाद उसकी तमाम डिटेल एक्सेस बुक में दर्ज होती है। लॉकर होल्डर जब भी बैंक जाएगा, उसकी तिथि व समय दोनों एक्सेस बुक में दर्ज कर बैंक का अधिकारी लॉकर तक होल्डर को लेकर जाएगा। लॉकर को अपने सामने खुलवाएगा। उसके बाद लॉकर होल्डर की ओर से क्या रखा जा रहा और निकाला जा रहा है, वह नहीं देखता है। यदि उस लाकर से संबंधित कोई विवाद होता है, तो जांच एजेंसी अपने सामने लाकर खुलवाकर जांच करती है।