नई दिल्ली 25 जनवरी। देश ही नहीं दुनिया में इसके लिए प्रभु की कृपा के साथ-साथ डॉक्टरों के साथ की भी जरूरत है. पिछले दिनों दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के प्लास्टिक और कॉस्मेटिक सर्जरी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ महेश मंगल के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने चमत्कार कर दिया. 65 साल की एक ब्रेन डेड महिला का दोनों हाथ एक 45 साल के पुरुष को ट्रांसप्लांट कर लगा दिया गया. वह शख्स अब खुद ही अपने हाथों से खाना खा सकता है और आम आदमी की तरह अन्य काम भी कर सकता है.
दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने तीन साल पहले एक हादसे में दोनों हाथ गंवा बैठे एक शख्स की वाजुओं में फिर से जान डाल दी है. 7 डॉक्टरों की टीम ने 12 घंटे की मेहनत के बाद ब्रेड डेड महिला के हाथ काटकर एक युवक को लगाने में कामयाबी पाई है. वह शख्स अब खुद ही अपने हाथों से खाना खा सकता है और आम आदमी की तरह अन्य काम भी कर सकता है.
मेडिकल साइंस सच में चमत्कारों की दुनिया है. मौत के मुंह में जाते लोगों को नया जीवन मिल रहा है, अंग विहीन लोगों को भी अब नए अंग मिल रहे हैं. खासकर दूसरे शख्स का अंग किसी दूसरे व्यक्ति को लगाया जा रहा है. नई दिल्ली के गंगा राम हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने एक 45 साल के शख्स को नया जीवन दिया है. एक ब्रेन डेड महिला ने इस शख्स के हाथों में नई जान फूंक दी है.
तीन साल पहले 45 वर्षीय इस युवक की ट्रेन दुर्घटना में दोनों हाथ कट गए थे. गंगाराम हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने ब्रेन डेड महिला के दोनों हाथ काटकर उस युवक को लगा दिए और हाथों का यह प्रत्यारोपण पूरी तरह से सफल रहा है. ब्रेन हेमरेज की शिकार महिला के अंगदान से यह संभव हो पाया है. महिला ने लीवर, किडनी और आंख भी दान कर दिया. 12 घंटे की लंबी सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने युवक के दोनों हाथ लगाने में कामयाब पाई.
ब्रेन डेड महिला दिल्ली की कालका जी में रिटायर वाइस प्रींसिपल थी. इस महिला की एक किडनी फोर्टिस गुड़गांव भेजी गई, जहां एक मरीज को वह किडनी लगाई गई है. इसके अलावा महिला के दोनों हाथ, लीवर और कॉर्निया सर गंगाराम अस्पताल अलग-अलग मरीजों को ट्रांसप्लांट की गई हैं. दोनों हाथों का प्रत्यारोपण उत्तर भारत में पहला ऐसा प्रत्यारोपण है. इससे पहले मुंबई में इस तरह का प्रत्यारोपण हो चुका है.
इस सर्जरी में डॉक्टरों की एक पूरी टीम लगाई गई थी. इस सर्जरी को अंजाम देने वाले डॉक्टर्स की टीम में डॉ. महेश मंगल लीड कर रहे थे. डॉ एस एस गंभीर, डॉ अनुभव गुप्ता, डॉ भीम नंदा, डॉ. निखिल झुनझुनवाला, डॉ. गौरव, डॉ. सुभाष और वरिष्ठ ओटी तकनीशियन पूरन सिंह के साथ सभी ओटी सपोर्ट स्टाफ टीम लगे थे. पूरी टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को कड़ी मेहनत के बाद अंजाम दिया. इसमें हड्डियों, धमनियों, नसों, मांसपेशियों, तंत्रिकाओं और त्वचा सहित विभिन्न अंगों को नाजुक ढंग से जोड़ा गया. ‘इस ट्रांसप्लांट में मरीज से अस्पताल ने किसी भी तरह का चार्ज नहीं लिया है.