सीबीएसई बोर्ड के गत दिवस निकले रिजल्ट में मेरठ के सिटी वोकेशनल स्कूल के करण पिलानिया और शामली की सावी जैन ने देश में टॉप कर जहां अपने परिवार का नाम रोशन किया वहीं स्कूल और शिक्षकों व संचालकों का मान भी बढ़ाया। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं और 10वीं की परीक्षा में एक बार फिर बेटियों ने बाजी मारी तो यह लगा कि देश और समाज के लिए यह गर्व की बात है। इससे यह भी सिद्ध होता है कि मातृशक्ति शिक्षा के क्षेत्र में भी अन्यों की भांति निरंतर प्रगति और सफलता के शिखर को चूम रही है। इसके देखकर यह भी कह सकते हैं कि यह उभरते भारत का सशक्त प्रतिबिंब है जहां युवाओं की आकांक्षाएं उपलब्धियों में तब्दील हो रही है। बताते हैं कि 12वीं के परिणामों में 88.39 फीसदी छात्र सफल रहे तो 10वीं में 93.66 प्रतिशत का रहा। मेरा मानना है कि हमारे बच्चे बेटी हो या बेटा उनमें प्रतिभा और काबिलियत की कोई कमी नहीं है। जिसका परिणाम है पिछले साल की तुलना में 12वीं में सफल विद्यार्थियों की संख्या करीब सात हजार अधिक बताई जाती है। इन परीक्षाओं में एक बार फिर जवाहर नवोदय विद्यालय और केंद्रीय विद्यालयों की उत्कृष्टता भी स्थापित हुई है क्यांेकि नवोदय विद्यालय के 12वीं कक्षा के 99.49 प्रतिशत और 10वीं के परिणाम में 99.45 प्रतिशत विद्यार्थियों ने सफलता हासिल की। यह आंकड़े इस बात का प्रतीक हैं कि हमारी सरकारों द्वारा चलाए जा रहे केंद्रीय विद्यालयों के परीक्षा परिणाम लाखों रूपये की फीस और सुविधाएं देने के नाम पर आर्थिक लाभ प्राप्त करने वाले बड़े स्कूलों के मुकाबले अच्छी साबित हुई है। इसलिए इसके विद्यार्थियों को ज्यादा संख्या में सफलता मिली। मेरा मानना है कि इनमें हमारी यूपी और अन्य प्रदेशों की सरकार भी केंद्र सरकार की व्यवस्थाओं का अवलोकन कर केंद्रीय विद्यालयों के आए परिणामों से प्रेरणा लेकर अपने यहां शिक्षा में सुधार का प्रयास करे तो आज की तारीख में अभिभावक जो प्राइवेट स्कूलों की ओर भाग रहे हैं वो दौड़ बंद हो सकती है। परिणामस्वरूप जितना पैसा प्रदेश सरकारें शिक्षकों और सहायता प्राप्त स्कूलों के अन्य स्टाफ को वेतन देने में खर्च करते हैं उतने में तो शिक्षा का स्तर प्रदेश बोर्डों का बहुत बेहतर हो सकता है। आवश्यकता सिर्फ शिक्षकों के मामलों में सिफारिशों और निर्णय लेने में कोताही ना हो। एक खबर पढ़ने को मिली कि शिक्षा विभाग के अधिकारी शिक्षकों के बारे में निर्णय लेंगे। यह बड़ा अजीब लगा क्योंकि ज्यादातर शिक्षा विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन कम और बैंक बैलेंस बढ़ाने में ज्यादा ध्यान दे रहे है। ऐसे में अगर इनके हाथ में शिक्षकों के बारे में निर्णय लेने की जिम्मेदारी दे दी गई तो इसमें सुधार होना संभव नहीं लगता। लेकिन सुधार और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था और युवाओं के उत्थान और शिक्षा को उच्च स्तरीय बनाने के लिए प्रयासरत यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सीबीएसई के आए परिणामों में जवाहर नवोदय और केंद्रीय विद्यालय के परिणामों और वहां की शिक्षा व्यवस्था की एक समिति बनाकर समीक्षा कराएं तो यूपी बोर्ड के छात्र भी अपने अभिभावकों और विद्यालय का मस्तक गर्व से उंचा कर सकते हैं।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सीबीएसई के रिजल्ट में जवाहर और केंद्रीय विद्यालयों के परिणाम से सबक लेकर प्रदेशों की सरकार शिक्षा में करें सुधार
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