नई दिल्ली 12 नवंबर। सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली पर पटाखों पर प्रतिबंध पूर्ण रूप से लागू नहीं करने के लिए दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को सोमवार को आड़े हाथों लिया। कहा कि सब दिखावा है। पटाखों पर प्रतिबंध को दीवाली से जोड़े जाने पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि इसे दीवाली से क्यों जोड़ते हैं? कोई भी धर्म प्रदूषण को बढ़ावा नहीं देता। यह लोगों के स्वास्थ्य का मामला है।
प्रदूषण मुक्त जीवन नागरिकों का मौलिक अधिकार है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पटाखों पर प्रभावी ढंग से प्रतिबंध लागू करने का निर्देश देते हुए इस बाबत तत्काल स्पेशल सेल गठित करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पटाखों पर पूरे साल प्रतिबंध लगाने पर विचार करने को कहा और 25 नवंबर तक फैसला करके कोर्ट को बताने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट में दिवाली पटाखों के अलावा पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के कारण प्रदूषण पर सुनवाई कर रही थी. न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच नियमों की अनुपालना पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने 14 अक्टूबर के उस आदेश पर जिक्र किया, जिसमें 1 जनवरी, 2025 तक पटाखों पर पूर्ण बैन लगाया गया था. कोर्ट ने कहा कि जहां तक इसकी अनुपालना का सवाल है दिल्ली सरकार ने इसमें असहायता व्यक्त की क्योंकि इसे दिल्ली पुलिस द्वारा लागू किया जाना है. पुलिस की ओर से पेश एएसजी भाटी ने कहा कि प्रतिबंध जारी करने वाला आदेश 14 अक्टूबर को पारित किया गया था. हालांकि, हम पाते हैं कि दिल्ली पुलिस ने उक्त आदेश के अमल को गंभीरता से नहीं लिया.
कोर्ट ने कहा कि हम दिल्ली के पुलिस आयुक्त को निर्देश देते हैं कि वे तुरंत सभी संबंधितों को उक्त प्रतिबंध के बारे में सूचित करने की कार्रवाई करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी लाइसेंस धारक पटाखे न बेचे या न बनाए. हम आयुक्त को पटाखों पर प्रतिबंध के प्रभावी अमल को सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ बनाने का निर्देश देते हैं. हमें आश्चर्य है कि दिल्ली सरकार ने 14 अक्टूबर तक प्रतिबंध (पटाखों पर) लगाने में देरी क्यों की. यह संभव है कि उपयोगकर्ताओं के पास उससे पहले ही पटाखों का स्टॉक रहा होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अनुच्छेद 21 के तहत प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार है. प्रथम दृष्टया हमारा मानना है कि कोई भी धर्म ऐसी किसी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता है जो प्रदूषण को बढ़ावा देती हो या लोगों के स्वास्थ्य से समझौता करती हो. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि वे हितधारकों से परामर्श करने के बाद स्थायी प्रतिबंध के पहलू पर फैसला करेंगे. हम सरकार को 25 नवंबर तक फैसला करने का निर्देश देते हैं. हम पुलिस आयुक्त को प्रतिबंध लागू करने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड में रखते हुए एक व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हैं.