नई दिल्ली 15 अप्रैल। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नवजात शिशु तस्करी के एक मामले में यूपी सरकार फटकार लगाई और राज्यों के लिए कुछ जरूरी नियम जारी किए। कोर्ट ने कहा- अगर किसी हॉस्पिटल से नवजात की तस्करी होती है तो उसका लाइसेंस तुरंत रद्द किया जाए। डिलीवरी के बाद बच्चा गायब होता है तो हॉस्पिटल की जवाबदेही होगी।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा- देशभर के सभी हाईकोर्ट अपने राज्यों में बच्चों की तस्करी से जुड़े लंबित मामलों की स्टेट्स रिपोर्ट मंगवाएं। सभी की सुनवाई छह महीने के भीतर पूरी करें। केस में हर दिन सुनवाई होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट नवजात तस्करी के उस मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें उत्तर प्रदेश के एक दंपती ने 4 लाख रुपए में तस्करी किया गया बच्चा खरीदा। क्योंकि उन्हें बेटा चाहिए था। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपियों को अग्रिम जमानत दे दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता न समझने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों को फटकार लगाई। पीठ ने कहा कि आरोपी दंपती बेटा चाहते थे और उन्होंने चार लाख रुपये में बच्चा खरीद लिया। जबकि वे जानते थे कि बच्चा चोरी करके लाया गया है। हाईकोर्ट ने भी जमानत आवेदनों पर संवेदनहीनता से कार्रवाई की। इसके चलते आरोपी फरार हो गए। कोर्ट ने कहा कि ऐसे आरोपी समाज के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। जमानत देते समय हाईकोर्ट को कम से कम यह शर्त तो लगानी ही चाहिए थी कि आरोपी हर सप्ताह थाने में हाजिरी देंगे। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम निराश हैं। जमानत के बाद सरकार की ओर से कोई अपील क्यों नहीं की गई? कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई।