नई दिल्ली 06 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन को अगले 30 दिनों के भीतर सेबी-सहारा फंड में 1000 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया है. जो सहारा के निवेशकों के लिए राहत देने वाला साबित हो सकता है. जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने साथ ही सहारा समूह को शेष 9000 करोड़ रुपये को पूरा करने के लिए वर्सोवा में अपनी संपत्ति के लिए संयुक्त उद्यम या भूमि विकास समझौते में प्रवेश करने के लिए 30 दिन का समय दिया है.
शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त, 2012 को निर्देश दिया था कि सहारा समूह की कंपनियां- सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) निवेशकों से जुटाई गई राशि को 15 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ सेबी को लौटाएंगी. करीब 25000 करोड़ रुपये की यह रकम सेबी-सहारा रिफंड खाते में जमा की जानी है. अब तक सहारा ने लगभग 15000 करोड़ रुपये जमा किए हैं, इसलिए शेष कमी वर्तमान में 10000 करोड़ रुपये है.
अदालत ने कहा कि यदि इस बीच सहारा समूह की कोई अन्य कंपनी कोई संपत्ति बेचती है तो प्राप्त धन को सेबी-सहारा फंड में जमा किया जाना चाहिए. अदालत अब एक महीने बाद फिर से मामले पर सुनवाई करेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सहारा ने अदालत के निर्देशों का पालन किया है?
इससे पहले सेबी ने अदालत को बताया था कि सहारा समूह की कंपनियों ने अब तक 15455.70 करोड़ रुपये जमा किए हैं, जिन्हें विभिन्न राष्ट्रीयकृत बैंकों की सावधि जमा में निवेश किया गया है. इस तरह 30 सितंबर, 2020 तक सेबी-सहारा रिफंड खाते में अर्जित ब्याज सहित कुल राशि 22589.01 करोड़ रुपये थी.