आज समाचार पत्रों में एक खबर पढ़ने को मिली कि सूरजकुंड श्मशान घाट से चिता की राख से मानव हडिडयों खींचकर ले जा रहे हैं कुत्ते। इसके लिए कौन जिम्मेदार है यह तो जांच का विषय है लेकिन श्मशान घाट से जुडी गंगा मोटर कमेटी को इस पर ध्यान देना चाहिए। बताते चलेें कि पूर्व में जब देवदत्त जी यहां कमिश्नर हुआ करते थे उनके द्वारा मृतकों को स्वर्ग मंे स्थान मिले इसके लिए पवित्र नदियों का जल लाकर एक जल सरोवर बनाया गया था जिसमे मृत देह को नहलाकर अंतिम संस्कार किया जाता था और इसकी शुरूआत पूरे विधि विधान से हुई थी। उसके बाद जब जेसी आदर्श एमडीए वीसी थे तो उन्होंने अंतिम संस्कार स्थल तक जाने वाले मार्ग में सुधार व अन्य उपाय अपने स्तर से कराए थे लेकिन शायद अब मेडा के अपने क्षेत्र के विकास की बड़े बड़े दावे करने वाले अधिकारियों का ध्यान सूरजकुंड श्मशान घाट की कमियों की ओर नहीं गया है वरना जो शर्मनाक घटनाएं आज अखबारों में पढ़ने को मिली वो नहीं होता। वीसी साहब किसी भी शहर का सौंदर्यीकरण तभी माना जाता है जब सबकुछ सही हो। इसलिए पूर्व कमिश्नर और अपने समकक्ष के समय की पत्रावलियां निकलकर ऐसी व्यवस्था कराईये कि कोई भी जानवर वहां ना जा सके। जब यहां एम रामचंद्रम कमिश्नर थे तब प्रथम मेयर अरूण जैन ने भी यहां आधुनिक दाह संस्कार की व्यवस्था कराई थी इसलिए महापौर जी इस आवश्यक बिंदु की ओर ध्यान देकर आप भी कुछ कराए क्योंकि अंतिम संस्कार में सैकड़ो लोग जाते हैं और व्यवस्था को लेकर उसका अंदाजा लगाते हैं। दूसरे यह धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मुददा भी है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सूरजकुंड श्मशान घाट पर आवारा कुत्ते कर रहे हैं अवशेषों की बेकद्री, मेडा नगर निगम के अधिकारी और गंगा मोटर कमेटी दे ध्यान
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