बरेली 12 फरवरी। बरेली के नवाबगंज निवासी दंपती का लापता बेटा 22 साल बाद घर लौटा। वह 2003 में जम्मू में लापता हो गया था। उस वक्त उसकी उम्र नौ साल थी। परिजनों ने उसकी बहुत तलाश थी, लेकिन पता नहीं चला। समय बीतने के बाद उसके लौटने की उम्मीद खत्म हो चुकी थी, लेकिन किस्मत को उसका परिवार से मिलना लिखा था। वह परिजनों को जयपुर में राजमिस्त्री का काम करते मिल गया। बेटा अपने पिता को तो नहीं पहचान सका, लेकिन मां को देख वह उनके गले से लगकर फफक पड़ा। परिजन उसे साथ लेकर घर आए हैं। उससे मिलने के लिए घर पर लोगों का तांता लगा हुआ है।
नवाबगंज कस्बे के मोहल्ला नई बस्ती पश्चिमी के समीर अहमद ईंट-भट्ठी पर मजदूरी करते हैं। 26 मई वर्ष 2003 को वह अपनी पत्नी नाजरा, बेटे शब्बू, छोटन, नईम, वसीम व बेटी नेहा के साथ जम्मू कश्मीर में ईंट-भट्ठी पर मजदूरी करने के लिए जा रहे थे, जब वह जम्मू रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से नीचे उतरे तो प्लेटफॉर्म पर भारी भीड़ थी। इसी बीच भीड़ में उनका दूसरे नंबर का बेटा नौ वर्षीय छोटन कहीं गुम हो गया।
परिजनों ने वहां उसकी गुमशुदगी कश्मीर में दर्ज कराई। इसके बाद वह तीन वर्ष तक जम्मू जाकर उसकी खोजबीन करते रहे, लेकिन उसका कोई पता नहीं मिला। 22 वर्ष बाद उन्हें जयपुर में किसी से जानकारी मिली कि एक युवक वहां राज मिस्त्री का कार्य करता है। वह खुद के खोने की बात बता रहा है। इस पर वह अपनी पत्नी को साथ लेकर वहां पहुंचे तो बेटे ने अपनी मां को पहचान लिया। वह उनके गले लग कर रोया।
22 वर्ष बाद मिले छोटन ने परिजनों को बताया कि उनसे बिछड़ने के बाद वह कई दिनों तक इधर उधर भटकता रहा। वह मेहनत मजदूरी कर गुजर बस करता रहा। 15 वर्ष पूर्व पूरनपुर के राजमिस्त्री चांद मियां उसे अपने साथ ले गए। उन्होंने ही उसे राजमिस्त्री का काम सिखाने के बाद भिखारीपुर गांव की नसीम बेगम से उसकी शादी करा दी। उससे उसके चार बेटे आयान, अरसलान, अरमान व सुभान हैं। उसका बड़ा बेटा आयान नौ वर्ष का है।