जब से सोशल मीडिया का प्रचलन शुरू हुआ है तब से अपनी छवि को निखारने अपनी प्रतिभाओं को औरों को अवगत कराने के साथ इसको कई प्रकार से समाज का हर वर्ग अपना रहा है। इसमें से एक सेल्फी बच्चों से लेकर युवाओं में निरंतर लोकप्रिय होती जा रही है। शायद इसीलिए देशभर में जगह जगह सेल्फी पाइंट बनाए जा रहे है। इनका शुभारंभ भी जनपद से लेकर राष्ट्रीय स्तर के लोगों द्वारा किया जाता है। अब तो बैंकों सहित विभिन्न संस्थान सेल्फी को बढ़ावा देने के लिए पाइंट बना रहे हैं तो बेटियों के साथ सेल्फी खींचकर भेजे जाने के अभियान को प्रोत्साहित करने के लिए हर मौके पर प्रयास भी होते नजर आ रहे हैं। अब ऐेसे में जब इसके प्रति दीवानगी तक पहुंच रही है तो संस्थानों द्वारा किए जा रहे हैं कि सेल्फी कोई नहीं लेगा कुछ स्थानों पर। बीते दिनों एक खबर पढ़ने को मिली कि कुंभ मेले में सेल्फी प्रतिबंधित रहेगी। तो आज एक समाचार पत्र से पता चलता है कि मध्य प्रदेश के खारगौन के ऐतिहासिक स्थल जामगेट से कूदकर 12वीं के छात्र द्वारा दी गई जान के बाद यह तथ्य सामने आया कि स्कूल द्वारा सेल्फी लेने से रोकने पर उसने आत्महत्या की। इस घटना से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सेल्फी लेने के प्रति किस पागलपन तक इससे संबंध जोश है। मैं ना तो सेल्फी पाइंट बनाने का समर्थक हूं और ना ही सेल्फी लेने का विरोधी। समाज में सभी को काम करने का अधिकार है। और सभी को कई प्रकार की छूट भी दी गई है। ऐसे में स्थान चाहे कोई सा भी हो। सेल्फी लेने पर रोक लगाना छूट देने से ज्यादा खतरनाक हो सकता है। यह बात 17 वर्षीय छात्र राजओसारी की आत्महत्या से भी सिद्ध हो रही है। अगर रोक लगाए जाने वाले संस्थानाओं की संख्या बढ़ती रही तो चोरी छिपे सेल्फी लेने की प्रचलन बढ़ेगा। ऐसे में कई प्रकार की दुर्घटनाओं से बचना संभव नहीं होगा। इसलिए मेरा मानना है कि सेल्फी लेने पर तो रोक ना लगाई जाए मगर किस मौके पर इसे लेने पर नुकसान हो सकता है। कहां कहां सेल्फी नहीं लेनी चाहिए इस बारे में नागरिकों के हित में सरकार को कुछ नियम बनाए जाएं और इसके लिए कुछ खर्च करने की आवश्यकता नहीं। सरकारी विभाग और अफसर सोशल मीडिया पर सक्रिय है। सबकी वेबसाइट है। वो उन्हीं पर सेल्फी से संबंधित जानकारी देकर इसको लेकर होने वाले नुकसान और जाने वाली जान को आसानी से रोक सकते है। सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील डांग और राष्ट्रीय महामंत्री अंकित बिश्नोई को भी एसएमए और सोशल मीडिया की छवि में सुधार हेतु जिस प्रकार गलत समाचार डालने वालों के प्रति जागरूकता अभियान चलाने की बात है उसी प्रकार सेल्फी पाइंट की जानकारी के लिए अभियान चलाया जा सकता है जनहित है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए सेल्फी से होने वाले नुकसान को लेकर चलाए अभियान, रोक लगाने की बजाय संस्थाएं युवाओं को करे जागरूक
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