नैनीताल 04 जुलाई। हरे-भरे पहाड़, शांत झीलें और ठंडी फिजाओं के लिए मशहूर उत्तराखंड की सरोवर नगरी नैनीताल इस बार मानसून सीजन में पर्यटकों के बिना सूनी पड़ी है. आमतौर पर जुलाई की शुरुआत तक नैनीताल में पर्यटकों की भारी भीड़ होती है, लेकिन इस बार पर्यटक यहां से नदारद है. यहां के लोग और व्यापारी भी इससे हैरान हैं. इससे पर्यटन व्यवसाय को भारी नुकसान पहुंचाया है. होटल, टैक्सी, नाव, रेस्टोरेंट और गाइड सभी का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है. पर्यटन कारोबारियों का कहना है कि अब तक 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका है और अगर हालात ऐसे ही रहे तो ये आंकड़ा और बढ़ सकता है.
दरअसल, बीते कुछ दिनों से नैनीताल और आसपास के इलाकों में लगातार रुक-रुक कर तेज बारिश हो रही है. इससे जगह-जगह जलभराव और फिसलन हो गई है. वहीं भूस्खलन की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं. मौसम विभाग ने आगामी दिनों में और बारिश की चेतावनी दी है. ऐसे में पर्यटकों का रुझान पहाड़ों की तरफ घूमने से कम हुआ है. नैनीताल, रानीखेत और मुक्तेश्वर जैसे हिल स्टेशनों पर इस समय जो रौनक दिखती थी, वो इस बार नदारद है.
पर्यटन कारोबारियों की मानें तो नैनीताल के अंदर ही टूरिज्म बिजनेस में करीब 60 प्रतिशत की कमी आई है. बारिश के कारण न केवल पर्यटक कम पहुंच रहे हैं, बल्कि पहले से बुक होटल भी अब कैंसिल हो रहे हैं. नैनीताल, रानीखेत और मुक्तेश्वर जैसे पर्यटन स्थलों पर आमतौर पर जून के आखिरी और जुलाई की शुरुआत में पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है, लेकिन इस बार मौसम की मार ने सब कुछ बदल दिया है. हालांकि जो पर्यटक इस समय नैनीताल घूमने आए है, प्रकृति और मौसम का भरपूर मजा ले रहे है.
होटल एसोसिएशन अध्यक्ष दिग्विजय बिष्ट ने राज्य सरकार से उत्तराखंड के सुरक्षित पर्यटक स्थलों का बुलेटिन जारी करने की मांग की है, ताकि देशभर में पर्यटकों को राज्य की सकारात्मक जानकारी जा सके. दिग्विजय ने बताया इस समय आमतौर पर होटल की बुकिंग 80-90 प्रतिशत रहती थी, लेकिन इस बार औसत बुकिंग 30-45 प्रतिशत पर आ गई है. दिग्विजय बिष्ट की माने तो बड़ी संख्या में पर्यटकों ने बुकिंग रद्द कर दी है. टैक्सी चालकों का कहना है कि काम ठप पड़ गया है. पहले दिन में दो-तीन बुकिंग मिल जाती थीं, अब दो दिन में एक भी मुश्किल से मिल रही है. शॉपिंग बाजार, झील किनारे के दुकानदार, नाव चलाने वाले और गाइड तक सभी प्रभावित हैं.