एमएफ हुसैन अब इस दुनिया में नहीं है। मैं हमेशा कलाकारों का हमेशा सम्मान करता रहा हूं क्योंकि यह समाज को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाते हैं। अपने जीवन में एमएफ हुसैन जो हमेशा विवादों में घिरे रहे इतनी उंचाई पर कैसे पहुंचे यह तो भगवान जाने मगर महिलाओं को लेकर उनके द्वारा जो घिनौने चित्र बनाए गए उससे नारी शक्ति के अपमान से इनकार नहीं किया जा सकता। उसके बावजूद उन्हें किसने और क्यों बढ़ाया यह तो उनके जानने वाले ही जान सकते हैं मगर मेरा मानना है कि बॉबे हाईकोर्ट की मंजूरी के बाद दिवंगत एमएफ हुसैन की 12 जून को 25 नायाब पेंटिंग की होने वाली नीलामी से पूर्व यह देखा जाना चाहिए कि इन चित्रों में आम आदमी माता बहनों के प्रति कुछ घिनौना तो नहीं हैं और समाज को इनके प्रदर्शन से कोई नाराजगी तो नहीं है। लोकतंत्र में सबको बोलने का अधिकार है इसलिए मुझे लगता है कि एमएफ हुसैन की पेंटिंग्स को खरीदने में लेागों को रूचि नहीं दिखानी चाहिए। एक घटना इनके जीवनकाल में हुई वो इनकी पेंटिंग में तोड़फोड से अंदाजा लगाया जा सकता है कि समाज में कुरीतियों को बढ़ावा देने और महिलाओं के अपमान से संबंधित चित्रों पर रोष भरा रहा। समाज हित में उनकी पेंटिंग्स को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
बहिष्कार हो एमएफ हुसैन की पेंटिंग की नीलामी का मातृशक्ति को अपमानित करने वाले चित्र बनाने वाला कोई भी हो ?
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