asd संघ प्रमुख दें ध्यान, शाखाओं में बढ़ोत्तरी और स्वयंसेवकों के सम्मान के लिए बनाए जाएं समन्यव संगठन

संघ प्रमुख दें ध्यान, शाखाओं में बढ़ोत्तरी और स्वयंसेवकों के सम्मान के लिए बनाए जाएं समन्यव संगठन

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भले ही संघ के बारे में समय समय पर कैसा ही प्रचार क्यों ना होता रहा हो लेकिन अनेकों प्रतिबंधों और समस्याओं के बावजूद संघ कार्यकर्ता पूर्ण विश्वास के साथ इसके साथ खड़े रहे। आज भी वो विचलित होने को तैयार नहीं नजर आते। पिछले लगभग छह दशक से मैं देखता आ रहा हूं कि गांव हो या देहात जब संघ की आलोचना होती थी तो भी प्रतिदिन शाखाएं लगती थी चाहे कार्यकर्ता कितने आएं आते जरूर थे। कुछ कारणों से जगह बदलती रहती थी।
अब शताब्दी वर्ष में संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा अलीगढ़ में पंच परिवर्तन के पांच और शाखाओं का विस्तार के साथ ही सात बिंदुओं पर विभाग प्रचार के साथ चर्चा की। और कहा कि इस शताब्दी वर्ष में प्रत्येक बस्ती में होंगे हिंदू सम्मेलन। शाखाओं की संख्या बढ़ाई जाए। क्योंकि यह संघ का मजबूत आधार है।
जब देश में भाजपा की सरकार बनी है और तमाम प्रदेशों में भी इसी दल की सरकारें चल रही हैं तब से यह देखने में आ रहा है कि शाखा के बारे में मुस्लिमों की जो विचारधारा रही उसमें परिवर्तन और जो गलतफहमियां हैं उन्हें दूर करने हेतु संघ प्रमुख द्वारा कई बार मुस्लिम विद्वानों को संघ के सम्मेलनों में निमंत्रित किया जा चुका है। औरंगजेब प्रकरण में संघ का जो मत आया वो भी कह सकते हैं कि संघ मुस्लिम विरोधी नहीं है बस वह देशभक्तों को साथ लेकर चलना चाहती है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत संघ के प्रति जो स्वयंसेवकों की आस्था और विश्वास है वो और बढ़ता रहे इसके लिए भले ही संघ की शाखाओं में आने वाले ना बोले लेकिन जो दिखाई देता है उसके अनुसार स्वयंसेवकों की समस्याओं के निराकरण और शाखाओं में विस्तार आदि के लिए संघ के हर कार्यकर्ता को पूर्ण सम्मान और उसकी समस्याओं के निस्तारण की व्यवस्था होनी चाहिए। जिस प्रकार से पीएम मोदी ने सत्ता संभालते ही संदेश दिया था कि पार्टी के बड़े नेता कार्यकर्ता घर घर जाएं और पुराने नेताओं कार्यकर्ताओं की समस्याएं सुने और उनका समाधान कराएं। मुझे लगता है इसी प्रकार से संघ को भी गांवों और शाखा स्तर तक अपने से जुड़े प्रचारकों आदि को भेजना चाहिए। और उनकी समस्याओं का समाधान के प्रयास हो। क्योंकि सब जानते हैं कि वर्तमान सरकार के गठन में संघ के सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए ऐसे समन्वय संगठन बनाए जाए जिनमें भाजपा के प्रभावशाली नेताओं के साथ संघ के प्रमुख प्रचारक भी शामिल हो और यह संयुक्त रूप से शाखा स्तर तक जाकर स्वयंसेवकों की कठिनाईयों को जानें और संघ की शाखा बढ़ाने के लिए उन्हे प्रोत्साहित करें और जो नीति सबको साथ लेकर चलने की संघ तैयार कर रहा है उसे विचार गोष्ठी के माध्यम से हर कार्यकर्ता तक पहुंचाया जाए और समन्वय शाखा प्रोत्साहित की जाएं। बाकी पहले के मुकाबले उन लोगों के विचार भी भाजपा शासनकाल में संघ के बारे में बदल रहे हैं। अब इस संगठन के बारे में लोग अच्छी चर्चा भी करने लगे।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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