डोंगरगढ़ 19 फरवरी। देश भर के जैन समाज के लिए 18 फरवरी का दिन सबसे कठिन था। समाज के वर्तमान के वर्धमान कहे जाने वाले संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने समाधि लेते हुए 3 दिन के उपवास के बाद अपना देह त्याग दिया है। शनिवार की देर रात करीब 2ः35 बजे उन्होंने अपना देह त्याग दिया। देह त्यागने से पहले उन्होंने अखंड मौन धारण कर लिया था। उनके देह त्यागने का पता चलते ही जैन समाज के लोग जुटने लगे।
आचार्य ज्ञान सागर के शिष्य आचार्य विद्यासागर ने 77 साल की उम्र में छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरि तीर्थ में 3 दिनों के उपवास के बाद अपना शरीर त्याग दिया है। रविवार को दोपहर एक बजे उनकी अंतिम संस्कार विधि पूरी की गई। आचार्य के शरीर त्यागने का पता चलते ही दर्शन के लिए लोगों का तांता लग गया।
आचार्य ज्ञान सागर से की समाधि लेने से पहले मुनि विद्यासागर को आचार्य पद सौंप दिया गया था। ऐसे में 26 साल की उम्र में ही विद्यासागर आचार्य हो गए थे। वर्तमान के महावीर से पिछले साल 5 नवंबर को देश के पीएम मोदी डोंगरगढ़ पहुंच कर आशीर्वाद लिया था। इस खास पल को अपने सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए पीएम ने लिखा था कि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी का आशीर्वाद पाकर धन्य महसूस कर रहा हूं।
संत ज्ञान सागर की तरह ही आचार्य विद्यासागर जी ने भी समाधि से 3 दिन पहले अपना आचार्य पद का त्याग करते हुए अगला आचार्य नियुक्त कर दिया था। उन्होंने आचार्य पद उनके पहले मुनि शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि समयसागर को सौंप दिया है। विद्यासागर ने उन्हें योग्य समझा और 6 फरवरी के दिन ही आचार्य पद देने की घोषणा कर दी थी।
जैन संत विद्यासागर महाराज का जन्म देश की आजादी के पहले कर्नाटक के बेलगांव के सदलगा गांव में 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। उनके 3 भाई और 2 बहनें है। तीन भाई में से 2 जैन मुनि तो तीसरे भाई धर्म के काम में लगे है। उनकी बहनों ने भी ब्रह्मचर्य लिया है। आचार्य विद्यासागर महाराज ने अभी तक 500 से ज्यादा मुनि को दीक्षा दे चुके है। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरि तीर्थ में रहते हुए आचार्य विद्यासागर ने अपनी देह का त्याग किया।