नई दिल्ली 16 मई। बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान की तीन प्रॉपर्टी को लेकर नया खुलासा हुआ है. ये तीनों प्रॉपर्टी शत्रु संपत्ति के अधीन आती हैं. इनमें भोपाल, सीहोर और रायसेन की करोड़ों की संपत्तियां शामिल हैं. गृह मंत्रालय के शत्रु संपत्ति अभिरक्षक (CEPI) ने 8 मई 2025 को भेजे पत्र में बताया कि नवाब हमीदुल्ला खान की बेटियां आबिदा और आफताब बेगम पाकिस्तान की नागरिक थीं. इसलिए उनकी हिस्सेदारी वाली संपत्तियां शत्रु संपत्ति घोषित की गई हैं.
इसी के तहत भोपाल नवाब खानदान की जिन संपत्तियों में इनकी साझेदारी थी, वे अब शत्रु संपत्ति के दायरे में आ गई हैं। बता दें, एक्टर सैफ अली खान, नवाब हमीदुल्ला खान के वंशज हैं और इन संपत्तियों से जुड़े हुए हैं। यह पूरा मामला तब सामने आया जब समाजसेवी अमिताभ अग्निहोत्री ने CEPI को इस बात को लेकर शिकायत भेजी।
इसके आधार पर अब CEPI की टीम इन संपत्तियों का सर्वे कर रही है। अग्निहोत्री ने यह भी मांग की है कि नवाब परिवार से 1949 में हुए भारत में मर्जर एग्रीमेंट की ओरिजिनल कॉपी समिट की जाए। अगर ऐसा नहीं होता, तो संपत्तियों को सरकार द्वारा अधिग्रहित किया जाए।
इस मामले में भोपाल उच्च न्यायालय में दाखिल माला श्रीवास्तव की रिपोर्ट में उल्लेख है कि भोपाल और उसके आसपास करीब 550 एकड़ ज़मीन नवाब खानदान के नाम दर्ज थी, जिसे पर्सनल प्रॉपर्टी नहीं बल्कि शाही रियासत की संपत्ति माना गया है। इसका अर्थ है कि यह जमीन व्यक्तिगत उपयोग के लिए नहीं थी और अब यह शत्रु संपत्ति के दायरे में आती है। भारत सरकार के अनुसार, देश में इस समय लगभग 12,983 संपत्तियां शत्रु संपत्ति की लिस्ट में आती हैं। इनमें से सबसे अधिक उत्तर प्रदेश (5688) और पश्चिम बंगाल (4354) में स्थित हैं।
क्या है शत्रु संपत्ति?
शत्रु संपत्ति उन लोगों की संपत्ति होती है जो भारत से पाकिस्तान या चीन चले गए थे और जिनकी भारत में संपत्ति रह गई थी. भारत सरकार ने इन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था और इन्हें CEPI की देखरेख में रखा गया है. शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत, शत्रु संपत्ति को मूल मालिक या उनके उत्तराधिकारियों द्वारा हस्तांतरित या वापस दावा नहीं किया जा सकता है. भले ही शत्रु या उनके उत्तराधिकारियों ने अपनी नागरिकता बदल ली हो.
CEPI शत्रु संपत्ति को बेचने, लीज पर देने या अन्यथा उपयोग करने का अधिकार रखता है. 2017 में शत्रु संपत्ति अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद, कानूनी उत्तराधिकारी जो भारतीय नागरिक हैं, उनका शत्रु संपत्तियों पर कोई दावा नहीं है और वे उनके निपटान पर मुआवजे के हकदार नहीं हैं.