Date: 16/10/2024, Time:

हरियाणा में तीसरी बार बीजेपी की जीत में आरएसएस का बड़ा योगदान, चुनाव प्रचार में ऐसे निभाई अहम भूमिका

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चंडीगढ़ 09 अक्टूबर। हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सफलता का क्रेडिट राष्ट्रीय स्वयंसेवक को भी जाता है। ये संघ की ही मेहनत थी कि जमीन पर तमाम नाराजगी के बावजूद 10 साल की सत्ता विरोधी लहर को मात देते हुए पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। हरियाणा में बीजेपी ने 90 में से 48 सीटें जीती हैं, जबकि कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली। इनेलो के हिस्से में 2 सीटें आई हैं, जबकि जेजेपी का खाता नहीं खुला नहीं है। अन्य निर्दलीय उम्मीदवारों के हिस्से में 3 सीट आई हैं।

हरियाणा में भले ही ऐतिहासिक जीत के साथ तीसरी बार भाजपा सत्ता में आई है, लेकिन इसके लिए भाजपा के रणनीतिकारों के साथ-साथ उसकी ‘मदर आर्गेनाइजेशन’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने लोगों के बीच धरातल पर जाकर बहुत काम किया है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत संघ के कई प्रमुख नेता हरियाणा में कई दिनों तक डटे रहे। आरएसएस प्रमुख ने पानीपत के समालखा में लगातार तीन दिन तक आरएसएस के क्षेत्रीय मुख्यालय में डेरा डाले रखा।

भाजपा के रणनीतिकारों ने ठीक उसी तर्ज पर काम किया, जिस तरह से आरएसएस प्रमुख ने उन्हें दिशा-निर्देश दिए। असर यह हुआ कि पूरे देश के एक्जिट पोल, चुनावी आकलन और पूर्वानुमान ध्वस्त हो गए और राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाकर भाजपा ने इतिहास रच दिया।

आरएसएस संगठन ने कांग्रेस के कार्यकाल के समय हुए भ्रष्टाचार के मुद्दों पर फोकस किया। इन्हीं विषयों पर बिना तामझाम के संघ के कार्यकर्ताओं ने लोगों तक पहुंचे और कैंपेन को अंजाम दिया। कांग्रेस की पिछली सरकारों के दौरान खर्ची और पर्ची को संघ ने मुद्दा दिया। जैसा कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में आरएसएस ने इसी फॉर्मूले पर कैंपेन करते हुए बीजेपी को सत्ता में लौटने में मदद की थी। हरियाणा में बीजेपी के खिलाफ जैसा माहौल था, वैसा किसी अन्य राज्य में देखने को नहीं मिला था, इसलिए संघ के योगदान की वैल्यू बढ़ जाती है।

आरएसएस के पदाधिकारियों ने माना कि किसान आंदोलन के चलते सरकार के खिलाफ आक्रोश था, महिला पहलवानों द्वारा लगाए आरोपों के चलते भी लोगों में नाराजगी थी, इसी तरह जाट आरक्षण और अग्निवीर स्कीम को लेकर युवाओं में क्षोभ था। इसके साथ ही हरियाणा में बेरोजगारी जैसे मुद्दों के चलते आम लोग सरकार से नाखुश थे। संघ ने इन सब मुद्दों की पहचान की और बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से अनुशासित कैंपेन चलाया गया। संघ की कोशिश रही कि कोई विवाद न हो और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा जाए। संघ की इस मेहनत का नतीजा 8 अक्टूबर को चुनावी परिणामों में दिखा है।

देश के सभी एक्जिट पोल में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलता दिखाया गया था, लेकिन कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी अकेले ऐसे भाजपा के नेता थे, जिन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ मतगणना से एक दिन पहले यह दावा किया था कि हरियाणा में तीसरी बार भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी।

नायब सिंह सैनी ने तो यहां तक कह दिया था कि जब भाजपा जीतेगी और कांग्रेस हारेगी तो यह लोग कहेंगे कि ईवीएम खराब है और हुआ भी यही। कांग्रेस नेताओं ने अपनी हार के बाद सारा ठीकरा ईवीएम पर ही फोड़ा, लेकिन भाजपा आरंभ से ही अपनी जीत के प्रति आश्वस्त थी। उसने इसका ज्यादा जल्दी प्रचार नहीं किया।

भाजपा के रणनीतिकारों ने धरातल पर जाकर काम किया। बिना पर्ची व खर्ची के सरकारी नौकरियों की उपलब्धता तथा एक गरीब परिवार के बच्चे को बिना पैसे के नौकरी देने की उपलब्धियां लेकर भाजपा के साथ-साथ स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता भी लोगों के बीच पहुंचे। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की उपलब्धियों का प्रचार प्रसार किया गया।

भाजपा के रणनीतिकार लोगों को यह समझाने में कामयाब रहे कि यदि कांग्रेस सरकार सत्ता में आ गई तो फिर जाति विशेष के लोगों को नौकरियां मिलेंगी, फिर पर्ची व खर्ची का सिस्टम आरंभ हो जाएगा और क्षेत्रवाद व अवसरवाद हावी हो जाएगा।

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