देहरादून 05 मार्च। उत्तराखंड में केदारनाथ धाम और हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे का ऐलान किया गया है. यह फैसला केंद्रीय कैबिनेट ने किया है. केदारनाथ धाम की बात करें तो सोनप्रयाग से केदारनाथ तक रोपवे होगा. यह रोपवे 12.9 किलोमीटर का होगा. इसमें 4081 करोड़ रुपया खर्च आएगा. जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय राजमार्ग रसद प्रबंधन बनाएगा.
इस रोपवे के जरिए वर्तमान में 8-9 घंटे लगने वाली यात्रा अब केवल 36 मिनट में पूरी होगी. पर्यावरण के अनुकूल, आरामदायक और तेज़ कनेक्टिविटी प्रदान करेगा. चारधाम यात्रा को बढ़ावा, जिससे स्थानीय व्यवसायों को लाभ मिलेगा और क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा.
पूरे छह महीने तीर्थयात्रियों की आवाजाही बनी रहेगी, जिससे शुरुआती दो महीनों में संसाधनों पर अत्यधिक दबाव कम होगा. यात्रा सीजन में रोज़गार के अवसरों में वृद्धि होगी. वृद्धजन और दिव्यांगजन के लिए यात्रा को अधिक सुगम और सुविधाजनक बनाएगा.
केदारनाथ रोपवे परियोजना उत्तराखंड रोपवे अधिनियम, 2014 के तहत संचालित होगी, जो लाइसेंसिंग, संचालन की निगरानी, सुरक्षा और किराया निर्धारण का कानूनी ढांचा प्रदान करता है.
वहीं दूसरा प्रोजेक्ट हेमकुंड साहिब का है. इसकी लागत 2730 करोड़ होगी. इस प्रोजेक्ट से हेमकुंड साहिब और वैली ऑफ़ फ्लावर तक की यात्रा की जा सकेगी .
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे का काम जल्द शुरू कराने के लिए संबंधित फाइल को वित्त मंत्रालय भेजी है. मंत्रालय के अनुसार अप्रवूल मिलते ही काम अवार्ड कर दिया जाएगा. पूर्व में तैयार किए गए प्रोजेक्ट में थोड़ा बदलाव किया गया है. रोपवे निर्माण के लिए मशीनों व अन्य भारी सामानों को ले जाने के लिए कई जगह पहाड़ा की छंटाई करनी और कई जगह पुलों को भी चौड़ा करना पड़ सकता है. इस वजह से प्रोजेक्ट दोबारा भेजा गया है.
काम आवार्ड होने के बाद छह माह के अंदर निर्माण का काम शुरू हो जाता है और पांच साल में निर्माण काम पूरा होगा. अगर काम तय समय में आवार्ड कर दिया गया तो 2029 तक निर्माण कार्य पूरा होने की संभावना है. यानी 2029 तक केदारानाथ का सफर आसान हो जाएगा.