asd रालोद और भाजपा गठबंधन हो सकता है कामयाब केसी त्यागी कर सकते हैं मेरठ हापुड़ पर दावेदारी, गुलाम मोहम्मद सपा के साथ जयंत चौधरी हैं बेफिक्र

रालोद और भाजपा गठबंधन हो सकता है कामयाब केसी त्यागी कर सकते हैं मेरठ हापुड़ पर दावेदारी, गुलाम मोहम्मद सपा के साथ जयंत चौधरी हैं बेफिक्र

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नौ में चार विधायक रालोद के अयोध्या नहीं गए। सोशल मीडिया पर शोर मचा है रालोद में विधायक कर रहे हैं भाजपा से गठबंधन का विरोध। बीते दिवस जयंत चौधरी द्वारा भाजपा में शामिल होने का फैसला लिया गया। कहा गया है कि सभी विधायकों से बात करके ही यह निर्णय लिया है। जो समझौता हुआ हो वो अलग बात है लेकिन अब यह उम्मीद की जा सकती है कि भाजपा यूपी में कुछ हारी हुई सीटों में से सहयोगी दलों को और भी दे सकती है। अगर ऐसा होता है तो रालोद के हिस्से में कुछ और सीटें भी आ सकती है। यह पक्का है कि जयंत चौधरी के भाजपा में शामिल होने से पश्चिमी उप्र और खासकर जाट बैल्ट में रालोद मुखिया की सलाह और प्रभाव दोनों ही काम आएंगी।
लेकिन यह कहना कि रालोद के सभी विधायक इस फैसले में एकजुट हैं समयानुकूल नहीं लग रहा है। क्योंकि सिवालखास सीट से रालोद के टिकट पर लड़े गुलाम मोहम्मद और उनके समर्थक कह रहे हैं कि हम हो गए हैं आजाद। बात भी सही है क्योंकि गुलाम मोहम्मद सपा नेता के काफी निकट हैं और उनका शुरू से ही रालोद गठबंधन में शामिल नहीं होने की चर्चा थी।
लेकिन बिहार में इंडिया गठबंधन को छोड़ भाजपा गठबंधन के साथ आए नीतीश कुमार ने बीते दिनों विश्वास मत भी प्राप्त कर लिया। इसलिए अब यह चर्चा जोरो पर है कि नीतीश कुमार अपने निकट सहयोगी केसी त्यागी के लिए पश्चिमी उप्र मेरठ मंडल में एक सीट की मांग कर सकते हैं। और क्योंकि गाजियाबाद से केसी त्यागी पूर्व में प्रतिनिधित्व कर चुके बताए जाते हैं और मेरठ से भी वह लोकसभा चुनाव एक बार लड़ चुके हैं और जानकारों का कहना है कि हार के बावजूद केसी त्यागी और समर्थकों का प्रयास रहेगा कि मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट केसी त्यागी को मिल जाए। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि हापुड़ पिलखुवा में केसी त्यागी का काफी प्रभाव है मगर इस सीट पर भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल तीन बार चुनाव जीत चुके हैं इसलिए केसी त्यागी समर्थकों का मानना है कि यह उनके लिए यह सीट भाजपा की छपरौली साबित हो सकती है। होगा क्या यह समय की बताएगा क्योंकि एक बार कांग्रेस की लहर के बीच यह सीट जीते। लोकसभा में डिप्टी स्पीकर राजेंद्र अग्रवाल के समर्थकों का कहना है कि उनका टिकट कटने वाला नहीं है। जहां तक बात करें कि रालोद को प्राथमिकता मिलने से भाजपा के दिग्गज जाट नेता क्या करेंगे और उनकी महत्वकांक्षाओं का क्या होगा तो सिर्फ एक बात कही जा सकती है कि भाजपा के पास अपने नेताओं को देने के लिए बहुत कुछ है इसलिए उनसे किसी भी प्रकार के विद्रोह की उम्मीद नहीं की जा सकती। रालोद के मिलने से यह लगभग पक्का समझा जा रहा है कि पश्चिमी यूपी की ज्यादातर सीटों पर यह गठबंधन विजय हासिल करने में सफल रह सकता है।
दूसरी तरफ यह भी चर्चा है कि अगर किसी वजह से राजेद्र अग्रवाल को साइड कर केसी त्यागी या किसी और को उतारा जाता है तो उन्हें किसी प्रदेश का राज्यपाल अथवा राष्ट्रीय स्तर के निगम का चेयरमैन बनाया जा सकता है और अगर वो खुद लड़कर जीतते हैं तो उन्हें इतना बड़ा पद केंद्र सरकार में मिलेगा जो जनता के लिए सम्मान का विषय होगा।

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