मुंबई 26 अप्रैल। यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) के नतीजों में महाराष्ट्र के यवतमाल जिले की छात्रा अदीबा ने परचम लहराया है. जानकारी के मुताबिक ऑटो चालक अशफाक अहमद की बेटी अदीबा अनम अशफाक अहमद ने 142वीं रैंक हासिल की है, जो आदिवासी बहुल यवतमाल जिले के लिए गर्व की बात है.
UPSC परीक्षा की कक्षाओं और फैसेलिटीज की कमी के बावजूद यवतमाल के छात्र अपने लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं. कई छात्र अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए पुणे, मुंबई और दिल्ली जाते हैं और परीक्षा की तैयारी करते हैं. वहीं, दूसरी ओर गरीबी के कारण ऐसा करने में असमर्थ छात्र ऑनलाइन कोर्स पूरा करके अपने लक्ष्य को हासिल करने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं.
बता दें कि अदीबा महाराष्ट्र की पहली मुस्लिम महिला IAS अधिकारी बनने की ओर अग्रसर हैं, जिसे समुदाय के कई लोगों द्वारा ऐतिहासिक माना जा रहा है.
यवतमाल की अदीबा अनम अशफाक अहमद ने पूरे भारत में 142वीं रैंक हासिल की है. उनके पास अपना घर भी नहीं है. वह कवि अशफाक शाद की बेटी हैं. अशफाक किराए पर ऑटो चलाते हैं और किराए के घर में रहते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक यह ऑटो भी उनका अपना नहीं है.
अदीबा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जफरनगर जिला परिषद उर्दू प्राइमरी स्कूल से की. उन्होंने यहां से कक्षा 1 से कक्षा 7 तक पढ़ाई की. इसके अलावा उन्होंने कक्षा 8 से 10 तक की शिक्षा जिला परिषद एक्स गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल से की.
उन्होंने यवतमाल के शिक्षा जिला परिषद एक्स गवर्नमेंट कॉलेज से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद अदीबा ने पुणे के इनामदार सीनियर कॉलेज से गणित में बीएससी की. उसके बाद, उन्होंने पुणे की एक एकेडम से यूपीएससी फाउंडेशन कोचिंग ली.अदीबा को चौथे प्रयास में सफलता मिली.
अदीबा कहती हैं कि उनका सपना सच हो गया है. अदीबा ने कहा, ‘मैं डॉक्टर बनना चाहती थी. लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण यह संभव नहीं हो पाया. इसलिए मैं हतोत्साहित थी, लेकिन यवतमाल में सेवा एनजीओ के सचिव निजामुद्दीन शेख ने मुझे प्रेरित किया. उन्होंने मुझे जानकारी दी कि कैसे आईएएस बनकर समाज और देश की सेवा की जा सकती है. उन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया.”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने यूपीएससी करने का फैसला किया. जब मैं पहले प्रयास में असफल हुई, तो मैं निराश हो गई, लेकिन मैंने हार नहीं मानी।.मैंने प्रयास जारी रखा और चौथे प्रयास में सफल रही.