asd डीग के बहज गांव में मिले कुषाणकाल से महाभारत तक के अवशेष

डीग के बहज गांव में मिले कुषाणकाल से महाभारत तक के अवशेष

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डीग (भरतपुर) 02 मई। डीग के बहज गांव में टीले की खुदाई के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को ढाई हजार वर्ष पुराना यज्ञ कुंड, धातु के औजार, सिक्कों के साथ मौर्य कालीन मातृदेवी का सिर मिला है। इसी के साथ सुंग कालीन अश्वनी कुमारों की मूर्ति फलक और अस्थियों से निर्मित उपकरण एवं महाभारत कालीन माने जाने वाले मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े मिले है। महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां पर बहुत बड़ी बोन इंडस्ट्री (हड्डियों से निर्मित औजारों का जखीरा) मिली है. जिसमें सुई के आकार के ऐसे अनूठे हड्डियों के औजार मिले हैं जो अब से पहले पूरे भारत में कहीं नहीं पाए गए हैं. फिलहाल एएसआई की ओर से उत्खनन कार्य जारी है. संभावना जताई जा रही है कि यहां पर महाभारत काल से भी प्राचीन सभ्यता के अवशेष दबे हुए हो सकते हैं.

भारतीय पुरातत्व विभाग सर्वेक्षण मंडल जयपुर द्वारा बहज गांव में चल रहे उत्खनन में कुषाण काल से महाभारत काल (हस्तिनापुर) तक के पांच कालखंडों की सभ्यताओं के अवशेष मिले हैं. पुरातत्व विभाग के सुपरिटेंडेंट विनय गुप्ता ने बताया कि विभाग की ओर से बहज गांव में 10 जनवरी 2024 से उत्खनन कार्य किया जा रहा है. अभी तक टीले के शीर्ष से करीब 20 मीटर और जमीन से करीब 9 मीटर की गहराई तक उत्खनन कार्य किया जा चुका है. अभी तक के उत्खनन में बहुत ही महत्वपूर्ण सफलता मिली है. विनय गुप्ता ने बताया कि उत्खनन के दौरान सबसे पहले कुषाण कालीन अवशेष, उसके बाद शुंग कालीन, मौर्य कालीन, महाजनपद कालीन और महाभारत काल (हस्तिनापुर) के अवशेष प्राप्त हुए हैं.

बृज क्षेत्र का महाभारत काल से जुड़ाव माना जाता रहा है. अब पुरातत्व विभाग की खुदाई में मिले अवशेषों से यह साबित भी होता दिख रहा है. सुपरिटेंडेंट विनय गुप्ता ने बताया कि बहज गांव के उत्खनन में महाभारत काल (हस्तिनापुर) के करीब 4 मीटर तक के जमाव प्राप्त हुए हैं, जो कि राजस्थान में अब तक के सबसे अधिक गहराई तक के जमाव हैं. इससे पहले नीम का थाना के पास महाभारत काल का पौन मीटर का जमाव मिल चुका है.

विनय गुप्ता ने बताया कि बहज में बहुत बड़ी बोन इंडस्ट्री मिली है. इसमें सुई के आकार तक के औजार मिले हैं. संभवतः इनका इस्तेमाल लिखने, बुनने या किसी अन्य कार्य के लिए किया जाता होगा. गुप्ता ने बताया कि इस तरह के औजार अभी तक भारत में कहीं और प्राप्त नहीं हुए हैं. सुई के आकार के इन औजारों पर बहुत ही बारीक और उत्कृष्ट कार्य हुआ है.

विनय गुप्ता ने बताया कि सामान्य तौर पर उत्खनन में सफेद रंग के मनके (माला के मोती) पाए जाते हैं लेकिन बहज गांव के टीले में काले रंग के बड़ी संख्या में मनके मिले हैं. ये बहुत ही दुर्लभ हैं. इनमें ज्यादातर शुंग काल के मनके हैं. ये मनके उत्कीर्णन (एंग्रेविंग) करने पर रंग भी बदलते हैं. सुपरिटेंडेंट विनय गुप्ता ने बताया कि उत्खनन में और भी बहुत ही महत्वपूर्ण अवशेष जैसे मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन, दीवार आदि मिले हैं. फिलहाल उत्खनन जारी है.

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