साहिबाबाद 28 नवंबर। 31 साल बाद शहीद नगर में रहने वाले राजू बुधवार को अपने परिवार से मिल ही गए। परिवार अखबार में खबर और फोटो देखकर खोड़ा थाने पहुंचे थे। मां मौसी के लड़के के साथ थाने पहुंची और अपने लाल को पहचान कर गले से लगा लिया। गले लगाते ही मां की आंखों में आंसू आ गए और वह रोने लगी। पुलिस ने राजू को उसके परिवार के सुपुर्द कर दिया।
1993 में साहिबाबाद इलाके से लापता हुआ 7 साल का राजू उर्फ पन्नू 31 साल बाद परिवार के पास लौट आया। राजू ने अपनी दास्तां सुनाई, जिसमें उसने राजस्थान में बंधक बनाकर रखे जाने और अमानवीय हालातों में जीने की कहानी बताई।
राजू ने बताया कि 8 सितंबर 1993 को वह अपनी बहन के साथ स्कूल से लौट रहा था, तभी उसका अपहरण कर लिया गया। उसे राजस्थान ले जाया गया, जहां उसे बुरी तरह मारा-पीटा गया। दिनभर कठोर काम कराया जाता और खाने को सिर्फ एक रोटी दी जाती। रात में उसे बांधकर रखा जाता था।
राजू ने बताया कि जिस परिवार ने उसे बंधक बनाया था, वहां की छोटी बेटी ने उसे हनुमान जी की उपासना करने की सलाह दी। उसने उसे भागने के लिए प्रोत्साहित किया। मौका पाकर राजू एक ट्रक में छिपकर राजस्थान से दिल्ली पहुंच गया।
राजू के मुताबिक, वह दिल्ली में कई पुलिस थानों में मदद के लिए गया, लेकिन उसे किसी ने नहीं सुना। इतने सालों में वह अपना इलाका और घर भी भूल चुका था। लेकिन 22 नवंबर को खोड़ा थाने पहुंचने पर कहानी ने नया मोड़ लिया।
खोड़ा पुलिस ने न केवल राजू को खाना-पीना और जूते मुहैया कराए, बल्कि उसकी कहानी को सोशल मीडिया और मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचाया। इस प्रयास का नतीजा यह हुआ कि राजू के चाचा ने उसे पहचान लिया और परिवार को खबर दी।
राजू का परिवार जब खोड़ा थाने पहुंचा, तो पूरे माहौल में भावुकता छा गई। 31 साल से लापता बेटे को पाकर परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। राजू ने अपने दर्द भरे दिनों को याद करते हुए कहा, “मैंने सोचा नहीं था कि कभी अपने परिवार को दोबारा देख पाऊंगा।”
राजू के चाचा भोजराज ने बताया कि अखबार में फोटो देखकर राजू की मां लीलावती मौसी के लड़के को लेकर थाने गई थी। थाने पर लीलावती ने राजू को देखते ही पहचान लिया। इसके बाद मां ने राजू के दिल के पास एक तिल होने की बात कही। पुलिस ने कपड़े उतरवा कर देखा, तो राजू के दिल के पास तिल था। इसके बाद राजू के सिर में गड्ढा होने की बात मां ने कही। राजू के सिर पर गड्ढा भी मिला। इसके बाद राजू के पिता तुलाराम को थाने लाया गया। राजू ने पिता को भी पहचान लिया। राजू जब घर पहुंचा तो बहनों ने भी उसे पहचान लिया। बहनें भी अपने भाई को गले लगाकर रोने लगी। तुलाराम दिल्ली के दिलशाद गार्डन में उर्जा निगम में काम करते थे। कुछ समय पहले ही वह सेवानिवृत्त हुए हैं। राजू की तीन बहनें संतोष, राजो और हेमा हैं।