पिछले कुछ वर्षों में भारतीय रेल में यात्रा के दौरान आने वाली परेशानियों और यात्रियों को मिलने वाली सुविधाएं ना मिल पाने की शिकायत आम हैं। और कुछ समय बाद होने वाली दुर्घटनाओं और उन्हें करने की कोशिश से संबंध जो खबरें मिलती है। उससे यात्री रेलों में सफर भगवान का नाम लेकर करते हैं क्योंकि जहां तक देखा है उनमें डर और असुरक्षा की भावना बनी रहती है। रेलों में जो यात्रियों के साथ दुर्घटनाएं होती हैं वो भी यात्रियों को परेशान करने में सक्षम होती हैं। रेलवे द्वारा एक जारी किए गए प्रपत्र में बताया गया कि 24 साल में 90 फीसदी बड़े हादसे बेहतर रखरखाव से घटे। दुर्घटनाओं की संख्या में आई कमी। अब इसके पीछे कौन सा रेलवे का तर्क है वो तो आंकड़ेबाजी का खेल खेलने वाले अफसर ही जान सकते हैं। लेकिन रेलवे की कार्यप्रणाली और कुछ अफसरों की निरंकुशता पढ़ने वाली खबरों से ही पता चलती है। हो सकता है जो आंकड़े जारी किए गए वो उनके हिसाब से सही हो। मगर रेलमंत्री जी आम आदमी को आसानी से इन पर विश्वास नहीं हो पा रहा है। ऐसा नागरिकों में होने वाली चर्चा के आधार पर कहा जा सकता है। रेलमंत्री जी आपसे आग्रह है कि इन आंकड़ेबाज अफसरों को बताईये कि कागजी खानापूर्ति से कमियां नहीं छिपा करती। परेशानी तो समस्या समाधान से ही दूर हो सकती है जो आपके रहते शायद नहीं हो पा रही हैं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
रेलवे का कहना: 24 साल में 90 फीसदी घटे बड़े हादसे, जनता बता रही है आंकड़ेबाजी
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