भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया द्वारा एक प्रेसवार्ता में कहा गया कि भारत एक स्वतंत्र प्रभुत्व राष्ट्र है। किसी विदेशी संस्था को हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यहां तक तो ठीक है लेकिन गौरव भाटिया का यह कहना कि राहुल गांधी देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त है सही नहीं लगता। पिछले कुछ दिनों से राहुल गांधी की सक्रियता से कांग्रेसी कार्यकर्ता एकजुट हो रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी को नेता विपक्ष बनने में सफलता मिली जो अपने आप में सफलता की निशानी थी। मुद्दा अडानी का हो या कुछ और विपक्षी नेता राहुल गांधी जमकर बोलते हैं तो सत्ता पक्ष के लोग भी कोई मौका नहीं चूकते उन पर निशाना साधने का। इसमें कोई बुराई भी नहीं है।
राहुल गांधी की कांग्रेस सर्वसमाज की पार्टी है। इसमें हर वर्ग जाति के लोग हैं। ऐसे में कांग्रेस नेताओं को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिसे लेकर किसी प्रकार का विवाद खड़ा हो या मनमुटाव पैदा हो। बीते दिवस आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में के बाद कर्नाटक कांग्रेस के उपाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री सिद्धारमेैया से रमजान के बाद मुस्लिम कर्मचारियों को चार बजे के बाद दो घंटे की छुटटी देने की मांग की है। शायद या तो इन नेताओं को यह पता नहीं है कि अभी दिल्ली में केंद्रीय कार्यालयों के अलावा ज्यादातर कार्यालयों में शाम पांच बजे अवकाश हो जाता है। इसलिए दो घंटे की छुटटी मांगने का कोई औचित्य नजर नहीं आता है। देश में सभी एक दूसरे से सदभाव बनाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में जो भाईचारे का माहौल बन रहा है उसमें इस प्रकार की मांग करना समयानुकुल नहीं कह सकते क्योंकि आज दो घंटे की छुटटी देने की मांग की जा रही है तो कल हिंदूं संगठन नवरात्रों में यह मांग करने लगे और साल में ज्यादातर दिनों में कई धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। अगर उन्हें भी अवकाश दिया जाने लगा तो जनहित की योजनाएं कैसे सिरे चढ़ेंगी यह भी हम सबको सोचना होगा। मुझे लगता है कि सोनिया गांधी राहुल और प्रियंका गांधी जैसे देशहित के बारे में सोचते हैं उससे इस प्रकार की मांग किया जाना उचित नहीं है। इसलिए राहुल और प्रियंका गांधी को अपने नेताओं को यह संदेश देना चाहिए कि कोई भी ऐसी मांग केंद्रीय नेतृत्व की अनुमति के बिना नहीं की जाए।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
राहुल जी पार्टी नेताओं की बयानबाजी पर लगाईये रोक समाजहित में
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