asd राहुल जी भाजपा ही नहीं आपको भी कुत्तों के आतंक से जनता को बचाने के लिए! शीलकुंज की महिलाओं ने किया जमकर विरोध प्रदर्शन, हिंसक जानवरों के हमले नहीं रूके तो उच्च अधिकारियों के यहां होगें प्रदर्शन

राहुल जी भाजपा ही नहीं आपको भी कुत्तों के आतंक से जनता को बचाने के लिए! शीलकुंज की महिलाओं ने किया जमकर विरोध प्रदर्शन, हिंसक जानवरों के हमले नहीं रूके तो उच्च अधिकारियों के यहां होगें प्रदर्शन

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मैने तो कुत्ते को खिलाने को उसके मालिक को बिस्कुट दिया था अब कुत्ते के पीछे क्यों पड़ी है भाजपा। राहुल जी बिस्कुट खिलाने को छोड़ अब जिस प्रकार से हिंसक कुत्ते बंदरों के आतंक से बच्चे जवान बूढ़े महिला और पुरूष जितना परेशान है उसे देखकर लगता है कि अब ये धीरे धीरे राष्ट्रीय समस्या बनती जा रही है इसलिए अब भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही हिंसक जानवर के इस आतंक से नागरिकों को छुटकारा दिलाने हेतु आगे बढ़कर कुछ करना होगा। क्योंकि पीड़ितों में सभी दलों के मतदाता शामिल है।
अभी पिछले दिनों सरधना तहसील गांव में दो पक्षों में हुए झगड़े के बाद महिला को पिटबुल से कटवाया गया जिसके विरूद्ध अर्जुन पुत्र मनोज ने बकायदे दोषियों के विरूद्ध तहरीर दी। तो दूसरी ओर इसी जिले और आसपास के जनपदों में पिटबुल के बाद आवारा कुत्तों का आतंक एकदम बढ़ गया है। महरौली में किशोर को काटा तो बहसूमा में कुत्तों के हमले में महिला हुई घायल। इसके अलावा आये दिन कुत्तों और बंदरों के हमले से बचने के लिए कई मरने और घायल होने के खबरे पढ़ना और सुनना आम बात हो गई है। गांव गली मौहल्लों से लेकर पॉश कालोनियां तक में रहने वाले अब इनसे बचे नहीं है। और सबसे बड़ी बात है कि प्रतिबंधित कुत्ते पालने या आवारा कुत्तों को संरक्षण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने का प्रावधान तो है मगर पुलिस करती नहीं। अगर किसी वजह से किसी दोषी को पकड़कर भी दे दिया जाए तो उसे जमानत पर या सांठगांठ कर छोड़ दिया जाता है ऐसा भुगत भोगियों का कहना है।
देश की प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग रूड़की यूनिवर्सिटी में रहने वाले छात्र और शिक्षक इस समस्या से बुरी तरह से परेशान है चर्चा है कि उन्हें छुटकारा दिलाने या उसकी सहायता करने की बजाए पीड़ितों की जांच जानवरों पर कुरता की बात कहकर कराई जा रही बताई जाती है। सवाल यह उठता है कि क्या जानवरो के ही अधिकार है मानव के कुछ नहीं। और अगर है तो हिंसक पशुओं व उनके पालने वाले और संरक्षण देने वालों को भेजा जाए जेल। तथा इनके खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम लोगों की मंशा की भी हो जांच आखिर सरकार द्वारा हर व्यवस्था उपलब्ध कराये जाने और संविधान में भी इस संबंध में प्रावधान होने के बावजूद निरिहीन नागरिकों के हो रहे मानसिक सामाजिक और आर्थिक उत्पीड़न को रोकने हेतु कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही।
रूड़की रोड़ स्थित अत्यंत प्रतिष्ठित रिहायशी कालोनी शीलकुंज में पिछले एक साल में यहां के कई निवासी महिला पुरूष और बच्चे हिंसक कुत्तों के काटे जाने का शिकार हो चुके है। हजारों रूपये इलाज पर खर्च होने के बाद भी इस समस्या से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। कुछ दिन पहले गोयल फोटो स्टूडियों के राजीव लोचन गोयल और उनके परिवार पर प्रतिबंधित पिटबुल कुत्ता जो अपने मालिक के साथ घूम रहा था ने उनके परिवार पर हमला किया और एतराज करने पर वो लड़ने आ गया। इसी प्रकार वरिष्ठ व्यापारी और भाजपा नेता सुधीर रस्तोगी के पीछे भी एक दिन कुत्ते भागे और ऐसा किसी न किसी के साथ रोज हो रहा है। यही की निवासी ज्योत्सना गुर्जर को तो पिछले दिनों काट ही लिया। इस कालोनी के निवासी कुत्तों के आतंक से कितना परेशान है इसका अंदाज इससे लगा सकते है कि गत दिवस मातृ शक्ति ने अपना विरोध प्रदर्शन करने और कुत्तों के विरूद्ध कार्रवाई कराने हेतु शिप्रा रेनू मीरा रूचि रिया संगीता पूजा सुधा मीनू अंजू सोनी पूर्णिमा शालिनी चांदनी व नेहा आदि ने जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया यहां के कुछ निवासियों का मौखिक रूप से स्पष्ट कहना था अगर कुत्तों के आतंक से छुटकारा नहीं दिलाया गया तो फिर मेरठ मंडलायुक्त व जिलाधिकारी तथा नगर आयुक्त के कार्यालयों पर भी प्रदर्शन कर कार्रवाई की मांग की जा सकती है तो इनके अलावा कुछ पुरूष निवासियों का मानना था कि जिन लोगों ने प्रतिबंधित कुत्ते पाल रखे है और जो आवारा कुत्तों को संरक्षण देते है उनके विरूद्ध भी की जाए कार्रवाई। क्योंकि इस समस्या को और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
यहां के कुछ निवासियों को याद करते हुए कहा कि पिछले वर्ष समाजसेवी और शीलकुंज के निवासियों की समस्या के समाधान के लिए प्रयासरत रहने और त्यौहारों पर सबकी खुशी के लिए मिलन समारोह आयोजित करने वाले प्रदीप सेठी के साथ पूर्व वर्ष में कुछ लोगों ने इस मुद्दे को लेकर बदामिजी करने की कोशिश की थी। इन लोगों का मौखिक रूप से कहना था कि एनीमल केयर सोसायटी के लोग इन जानवरों के पालन पोषण के लिए व्यवस्था करने सिर्फ ये कह देने से कि उत्पीड़न नहीं होने देंगे कुछ होने वाला नहीं है। (प्रस्तुतिः शहर संवाददाता)

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