Date: 10/10/2024, Time:

महिला संगठनों को मजबूत, अनुशासनहीनता समाप्त करके ही राहुल जी कांग्रेस का सत्ता में आने का सपना साकार हो सकता है

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कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस और कांग्रेसियों में जो उत्साह बढ़ना शुरू हुआ वो बीते लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद कई गुना बढ़ गया। परिणाम स्वरूप कांग्रेस के नेता छोटे से लेकर बड़े तक अब भाजपा और उसके सहयोगियों की सरकार की नीतियों पर टिप्पणी करने के साथ ही राजनीतिक रूप से मौखिक आरोप ही लगाने लगे है। इतना ही नहीं जैसा की खबरे पढ़ने को मिलती है हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बढ़ रही पूछ और यूपी में होने वाले उप चुनाव में विपक्षी दलों में जो उत्साह नजर आ रहा है उससे पार्टी निरंतर मजबूती की ओर अग्रसर है। बीते दिवस कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे साहब ने कहा कि मोदी को हटाने तक नहीं मरूंगा से कांग्रेसियों का गांव जिलों और देहातों में यह विश्वास बढ़ रहा है कि उनकी पार्टी चुनावी राजनीति में पैर मजबूती से जमा रही है। मगर सवाल यह उठता है कि यूपी विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे एवं प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के समक्ष जो मारपीट हुई और लात घूसे चले उससे यह प्रतीक हो रहा है कि वजूद बढ़ने मगर लक्ष्य प्राप्ति से पहले ही अनुशासन भी बिगड़ रहा है। दूसरी तरफ पूर्व केन्द्रीय मंत्री और हरियाणा की राजनीति में प्रमुख महिला नेता कुमारी शैलजा का जो एक साक्षात्कार पढ़ने को मिला जिसमें उनका कहना है कि हमारी पार्टी में कुछ लोग खेला खेलते है। खुद को बड़ा मानने वालों के दिल बहुत छोटे है। उससे यह भी महसूस हो रहा है कि कहीं न कहीं कार्यकर्ताओं में ही नहीं बड़े नेताओं में भी चुनाव में टिकट दिये जाने व अन्य निर्णयों को लेकर भी असंतोष बढ़ रहा है।
मेरा हमेशा ही मानना रहा है कि देश में केन्द्र व प्रदेशों में सत्ता कोई भी चलाये लेकिन विपक्ष में मजबूत होना अनिवार्य है क्योंकि उससे राजनीति और सरकार के निर्णय लेने का संतुलन बना रहता है। और इसका प्रमाण भी अभी पूर्व में हुए लोकसभा चुनाव के बाद केन्द्र में बनी सरकार के द्वारा लिये जा रहे निर्णयों के रूप में दिखाई दे रहा है। लेकिन अगर इसी प्रकार से पार्टी के कार्यकर्ताओं में अनुशासनहीनता व नेताओं में असंतोष बढ़ता रहा तो वो कांग्रेस के लिए तो वो हानिकारक होगा ही वर्तमान में लोकसभा के विपक्ष के नेता राहुल गांधी जी के प्रयासों पर भी पानी फेर सकता है।
सोनिया जी मलिकार्जुन खड़गे साहब पार्टी के प्रमुख महिला नेता प्रियंका गांधी और राहुल गांधी जी को मुझे लगता है कि 2027 में यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए पार्टी के कार्यकर्ताओं व नेताओं को समर्पण व सहनशीलता का पाठ पढ़ाना होगा तभी कुछ अच्छे परिणाम निकलकर सामने आ सकते है।
जहां तक बात करे यूपी के उप चुनावों की तो इसके परिणाम क्या होंगे उससे कोई बहुत बड़ा फर्क पड़ने वाला नहीं है हां अगर कांग्रेस एक दो सीटें जीत ले तो थोड़ा आत्म विश्वास में बढ़ोत्तरी हो सकती है। मुझे लगता है कि अनशासहीनता में कांग्रेस जिन लोगों को निकाल रही है वो अच्छा निर्णय है मगर कांग्रेस और उसके नेताओं को यह समझ लेना चाहिए कि सिर्फ 40 प्रतिशत टिकट देने या महिलाओं को राजनीति में बढ़ावा देने की बाते करने से कुछ विशेष होने वाला नहीं है। वर्तमान में कांग्रेस की सबसे लोकप्रिय नेताओं में शुमार राहुल और सोनिया गांधी को पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व में महिलाओं को दिये जा रहे सम्मान व प्रतिनिधित्व की भांति गांव गली मौहल्लों व जनपद स्तर तक अपने महिला संगठनों को मजबूती देनी होगी। तभी देश की आधी आबादी और वर्तमान क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर पुरूषों के समान आगे बढ़ रही नारी शक्ति का रूझान और कांग्रेस उम्मीदवारों के प्रति उनके वोटों का मतदान तभी बढ़ सकता है।
(संपादकः रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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