चार बार लगातार पीएम रहीं छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय बांग्लादेश की प्रधानमंत्री तथा बांग्लादेश के संस्थापक मुजीबुर्रहमान की बेटी शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट 45 मिनट में हो गया। क्यांेकि यह पड़ोसी देश का मामला है इसलिए अपने देश में इसे लेकर चर्चा ना हो और सतर्कता ना बरती जाए ऐसा हो नहीं सकता। पड़ोसी देश में हुए इस घटनाक्रम पर क्या निर्णय लेना है यह केंद्र सरकार और हमारे प्रधानमंत्री को ही सोचना है। क्योंकि एक अच्छे दोस्त की भूमिका में रहीं शेख हसीना के देश छोड़ने से भारत की चुनौतियां कई क्षेत्रों में बढ़ने से इनकार नहीं किया जा सकता। तख्तापलट में शामिल प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने जिस प्रकार से चार मंदिरों में तोड़फोड़ की उसे लेकर अपने यहां चिंता होना भी आवश्यक है। लेकिन इस समय में विपक्षी नेताओं ने जो एकजुटता दिखाई वो अति महत्वपूर्ण है। बुजुर्ग पाठक और जागरूक युवा अच्छी प्रकार से जानते होंगे कि जब पाक और बांग्लायुद्ध हुआ तो उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरागांधी जी द्वारा निभाई गई भूमिका को लेकर विपक्ष के नेताओं में शुमार अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा इंदिरा गांधी जी को दुर्गा कहकर उनकी प्रशंसा की गई थी। वर्तमान में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा संसद परिसर में विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बांग्लादेश के घटनाक्रम पर चर्चा और हालात पर चिंता जताते हुए कहा गया कि देशहित सर्वोपरि है। वर्तमान हालात पर केंद्र सरकार भारत के हितों की रक्षा करेगी तथा पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का यह कथन कि इस मामले में केंद्र सरकार जो भी फैसला लेगी उसका हम समर्थन करेंगे तथा बीजू जनता दल के नेता स्मिता पात्रा का कहना कि इस मुददे पर हम भारत सरकार के रूख का समर्थन करेंगे। से यह स्पष्ट होता है कि आज भी कठिन समय में आवश्यकता पड़ने पर पूरा देश पक्ष विपक्ष को छोड़कर एकता के सूत्र में बंध हुआ है। इस हिसाब से देखें तो यह कहने में कोई हर्ज महसूस नहीं होता कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस मामले में जो भी निर्णय राष्ट्रहित में लिया जाएगा उसमें वैचारिक मतभेद भूलकर हर दल ओैर आदमी उनके साथ खड़ा है। यह हमारे देश की एकता भाईचारा सदभाव को मजबूत बनाने का मूलमंत्र हमेशा बना रहा है।
सरकार को भी इस मुददे पर नेता विपक्ष राहुल गांधी और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी सपा मुखिया अखिलेश यादव, एवं बसपा प्रमुख मायावती समेत सभी नेताओं से यह भूलकर कि किसका सदन में कितना प्रतिनिधित्व है इस मामले में विचार विमर्श कर निर्णय लेना ही चाहिए। क्योंकि सर्वदलीय बैठक में लिए गए निर्णय से पीएम को हर तरह से ताकत मिलेगी और उनके निर्णय के पीछे सारा देश खड़ा होगा।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
राहुल गांधी के निर्णय ने अटल जी की याद दिला दी
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