लगता है कि राहुल गांधी प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी और उनके सहयोगियों व कार्यकर्ताओं के प्रयासों से जो पार्टी का जनाधार बढ़ रहा है तथा जो वोट बैंक इनसे खिसक चला था अब धीरे धीरे जुड़ रहा है। यह बात पार्टी के कर्नाटक के कुछ नेताओं और सरकार को शायद हजम नहीं हो रही है। क्योंकि पिछले कुछ माह में यहां के नेताओं ने ऐसे बयान दिए और सरकार ने ऐसे फैसले लिए जो पार्टी का जनाधार तो कम करेगा ही वैमनस्य की भावना नागरिकों में पैदा करेगा। क्योंकि रमजान के दिनों में मुस्लिम भाईयों को कुछ घंटे का अवकाश देने की मांग करना और अब उसके बाद सरकार द्वारा केटीपी अधिनियम में संशोधन को मंजूद देकर जिस प्रकार के 2 करोड़ के सिविल कार्यों और एक करेाड़ तक के माल ठेके चार प्रतिशत मुस्लिमों को आरक्षित करने की घोषणा की है उससे बैठे बैठाए कांग्रेस आलाकमान के प्रमुख नेताओं के विवादों में घिर जाने और अन्य समाज के वोटों के खिसक जाने का डर बन रहा है। अब इसे पार्टी हाईकमान कैसे रोकेगा और इससे जो बहुसंख्यक आदि के दूर होने का खतरा है उसे कैसे मनाएगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन फिलहाल इस निर्णय के विरूद्ध आंदोलन छेड़ने की घोषणा के साथ ही भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा अदालत में चुनौती देने और विधानसभा व पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की गई है। भाजपा नेता तेजस्वी सूर्या ने सरकार के इस कदम को असंवैधानिक दुस्साहस करार दिया है और कहा कि इसके खिलाफ हर स्तर पर संघर्ष होगा। दक्षिण बंगुलुरू लोकसभा सीट से सांसद तेजस्वी सूर्या ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सीएम सिद्धारमैया सरकार का निर्णय कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व विशेषेकर राहुल गांधी के निर्देश पर मुस्लिमों को खुश करने के लिए सोच समझकर कदम उठाया गया है। वैसे तो राजनीतिक आरोप लगते रहते हैं लेकिन भाजपा नेताओं ने इसे मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने और वोट बैंक को मजबूत करने की नीति बताई। भाजपा नेताओं का आरोप है कि कांग्रेस अक्सर बाबा साहेब और संविधान का हवाला देती है लेकिन यह कदम असंवैधानिक है। हम इसका कड़ा विरोध करेंगे। मेरा मानना है कि आरक्षण संविधान में जब पहले से ही सुनिश्चित है तो जिनकी जरूरतों को देखकर यह निर्धारित किया गया था तो अब अन्यों को इसमें शामिल कर उन्हें कमजोर करने का यह प्रयास किसी भी रूप में सही नहीं कहा जा सकता। मैं ना तो कांग्रेस के खिलाफ हूं और ना भाजपा के समर्थन में। लेकिन यह जो सरकार का निर्णय है उससे आम आदमी में जो इस क्षेत्र में सक्रिय है। मनमुटाव बढ़ेगा और एक दूसरे के प्रति दुर्भावना पैदा होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए जरूरी है कि राहुल गांधी कर्नाटक सरकार और नेताओं की समाज में अलगाव पैदा करने की भावना से संबंध निर्णयों पर रोक लगाए और जो जनाधार जुड़ रहा है उसे बांधे रखने हेतु किसी भी स्तर पर ऐसा कोई निर्णय ना लेने के निर्देश अपनी पार्टी नेताओं और मुख्यमंत्रियों को दें वरना समाज में खासकर बहुसंख्यकों में पार्टी की छवि और आधार दोनों ही कमजोर होंगे। भले ही शिवकुमार सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कह रहे हों कि केवल मुस्लिम ही नहीं सभी अल्पसंख्यकों को मिलेगा इसका लाभ। इसलिए कांग्रेस कर्नाटक सरकार के इस निर्णय को वापस कराने का निर्णय जनहित को ध्यान में रखकर ले।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
राहुल गांधी दें ध्यान! सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को चार प्रतिशत आरक्षण से जबरदस्ती का विवाद उत्पन्न होने ?
0
Share.