Date: 22/11/2024, Time:

राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष का नेता पद स्वीकार करें कांग्रेस और गठबंधन का हित ध्यान में रखते हुए

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18वीं लोकसभा के चुनाव परिणाम में मिली भारी सफलता के बाद भाजपा और उसके सहयोगी दल सरकार बनाने की मुहिम में जुट गए हैं वहीं कांग्रेस के नेता रायबरेली और वायनाड से सांसद राहुल गांधी एक मंझे सुलझे विचारों के विपक्षी नेता की भूमिका निभाने लगे हैं और इस क्रम में उन्होंने बीते दिनों शेयर बाजार में रही उथल पुथल को घोटाला बताते हुए जेपीसी जांच की मांग की और इसमें सत्ताधारी दल के कई नेताओं के शामिल होने की बात कहकर उन्हें घेरने की कोशिश भी की गई।
अब क्योंकि कोई सांसद दो जगह से तो नहीं रह सकता इसलिए एक सीट से अपनी सांसदी वापस लेनी होगी। जहां तक नजर आता है राहुल गांधी वायनाड के मतदाताओं से भी भरपूर अपनापन रखते हैं। और अब अपनी मां सोनिया गांधी के चुनाव क्षेत्र रायबरेली से भी वो जीते हैं। इस क्षेत्र से बने रहेंगे यह तो अभी नहीं कहा जा सकता लेकिन समझा जाता है कि वो रायबरेली से सांसद बने रह सकते हैं लेकिन वायनाड में उनकी सक्रियता भी बनी रहेगी और वहां के जनादेश का पालन करते हुए विकास कार्य वहां हो इसका ध्यान भी वो रखेंगे। जल्द कांग्रेस के सांसदों की होने वाली बैठक में यह तय होने के साथ साथ वह कहां से सांसद रहे इसके साथ ही उन्हें नेता विपक्ष बनाने पर चर्चा होगी। कांग्रेस मुख्यालय में शनिवार आठ जून को 11 बजे से बैठक होगी जिनमें चुनाव परिणाम और गठबंधन की सफलता पर चर्चा के साथ ही केंद्र में विपक्ष का नेता कौन बने इस पर भी गहन चर्चा होना संभव है।
क्या होना है कांग्रेस किसे विपक्ष का नेता चुनेगी और क्या निर्णय लेगी यह तो बैठक के बाद ही स्पष्ट होगा लेकिन मुझे लगता है कि राहुल गांधी को इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों और कांग्रेस सांसदों की उनको विपक्ष का नेता बनाने की मांग मान लेनी चाहिए क्योंकि चुनाव परिणाम में सभी का सहयोग बराबर रहा। सहयोगी दल कोई कम कोई ज्यादा अपनी भूमिका निभाने में सफल रहा। जिसका कोई उम्मीदवार नहीं जीता वो भी वोट प्रतिशत बढ़ाने और जिसकी जैसी स्थिति थी इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों को वोट दिलाने का काम किया गया। लंका पर चढ़ाई के वक्त समु्रद पर पुल बनाने के दौरान गिलहरी के योगदान को भगवान राम ने सराहा था उसी प्रकार अपने नेताओं की बात मानकर और 2029 के लोकसभा चुनाव और 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस व गठबंधन की मजबूत स्थिति के लिए उन्हें नेता विपक्ष बनने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि ज्यादातर नागरिक यह मानते हैं कि पिछले दस साल में जादू की झप्पी हो या मुखरता से दिए गए बयान भारत जोड़ों यात्रा का ही परिणाम है कि कई वर्ष बाद कांग्रेस के इतने सांसद जीतकर आए और गठबंधन सत्ताधारी दल को लोकसभा में टक्कर देने और निरंकुश निर्णय न लेने देने की स्थिति में पहुंच गया। इसलिए जनहित में और देश के विकास में सत्ताधारी दल को मजबूर करने के लिए राहुल गांधी का विपक्ष का नेता बनना सबके हित में दिखाई देता है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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