asd मरकर भी जिंदा रहेंगे पूरन! ब्रेन डेड के बाद दान की किडनियां

मरकर भी जिंदा रहेंगे पूरन! ब्रेन डेड के बाद दान की किडनियां

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जबलपुर 07 मार्च। मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक अभूतपूर्व पहल के तहत दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए, जिससे एक मृत व्यक्ति के अंगों को जरूरतमंद मरीजों तक समय पर पहुंचाया जा सके. भेड़ाघाट शिल्पी नगर के रहने वाले पूरण सिंह तीन दिन पहले एक हादसे का शिकार हो गए. इसके बाद उन्हें मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन डॉक्टरों की पूरी कोशिशों के बावजूद उनकी जान नहीं बच सकी.

पूरण सिंह चौधरी के निधन के बाद उनके परिवार ने एक बड़ा और प्रेरणादायक फैसला लिया. उन्होंने उनके अंगों को दान करने का निर्णय लिया. इस फैसले से न केवल दो जरूरतमंद मरीजों को जीवनदान मिलेगा, बल्कि उनकी आंखों और त्वचा का भी दान किया जा रहा है, जिससे कई और लोगों को लाभ होगा.

जबलपुर के भेड़ाघाट के शिल्पी नगर में रहने वाले पुरन चौधरी गुरुवार को एक दीवार के ऊपर से गिर गए थे. पूरन चौधरी एक राजमिस्त्री थे, उनकी उम्र 56 साल थी. काफी ऊंचाई से गिरने की वजह से पूरन के सिर में गंभीर चोट आई और डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया. उनके परिजन की सहमति के बाद उनकी किडनियों को दो लोगों को लगाया जाएगा.

पूरन चौधरी के भतीजे माधव राज ने बताया कि, ”डॉक्टर का कहना था कि पूरन ब्रेन डेड हो गए हैं, लेकिन उनके शरीर के कई हिस्से अभी भी काम कर रहे हैं. डॉक्टर ने पूरन चौधरी के परिवार के लोगों से कहा कि, पूरन चौधरी पूरी तरह ठीक नहीं हो पाएंगे. यदि परिवार चाहे तो उनके शरीर के हिस्सों को दान कर सकते हैं. माधव राज और परिवार के दूसरे लोगों ने सलाह मश्वरा करके पूरन के अंगों का दान करने का फैसला लिया.

मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक डॉक्टर संजय मिश्रा ने बताया कि, जबलपुर में बीते दो महीने में दूसरी बार ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है. पूरन चौधरी की एक किडनी इंदौर और एक जबलपुर के मेट्रो अस्पताल के लिए पहुंचाई गई. त्वचा भी जबलपुर के मेट्रो अस्पताल ट्रांसफर की गई. पूरन चौधरी का इलाज जबलपुर के सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में चल रहा था. यही के डॉक्टरों ने पूरन चौधरी के अंगों को निकाला.

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