केंद्र सरकार पूरे देश में हर व्यक्ति को सस्ती और सुलभ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रयास कर रही है। उसके बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन और आईसीएमआर के एक अध्ययन एवं द लैंसेट रीजनल हेल्थ दक्षिण पूर्व एशिया जर्नल में प्रकाशित शोध में पता चलता है कि त्रिपुरा मणिपुर केरल जैसे राज्यों में दस किमी पर ही बुजुर्गों को चिकित्सा सुविधा प्राप्त हो जाती है लेकिन पहाड़ी राज्यों में साठ किमी तक सफर बुजुर्गो को स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने में लग जाता है। एक खबर के अनुसार 32 हजार बुजुर्गों पर किए गए अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकला कि देश में बुजुर्गों को अस्पताल में भर्ती होने के लिए 45 किलोमीटर तक की दूरी तय करनी पड़ रही है। लैंसेट के अध्ययन में यह बात सामने आई है। यह भी पाया गया कि वृद्धों को ओपीडी सेवाओं का लाभ लेने के लिए औसतन 15 किलोमीटर तक चलना पड़ रहा है।
द लैंसेट रीजनल हेल्थ दक्षिण पूर्व एशिया जर्नल में प्रकाशित शोध में भारत के शहरी और ग्रामीण असमानता के बारे में जानकारी दी गई। रिपोर्ट के अनुसार, शहर में रहने वाले बुजुर्ग 10 किलोमीटर के भीतर ओपीडी सेवाओं का लाभ उठाते हैं, जबकि गांवों के लिए यह दूरी 30 किलोमीटर थी। अध्ययन में विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के शोधकर्ताओं द्वारा 2017-2018 में जुटाए गए 32 हजार बुजुर्गों के डाटा का विश्लेषण किया गया। इसमें सभी की आयु 60 वर्ष या अधिक थी। यूपी, बिहार, एमपी जैसे राज्यों में बुजुर्गों को ओपीडी सेवा के लिए 11 से 60 किलोमीटर की दूरी और अस्पताल में भर्ती होने के लिए 30 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ी। जब स्वास्थ्य सेवा 10 किलोमीटर के अंदर थी, तो ओपीडी और अस्पताल में भर्ती होने की सेवा का फायदा उठाने की दरें 73 प्रतिशत और 40 प्रतिशत पाई गईं।
पहाड़ी राज्यों में चुनौती
सिक्किम और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में बुजुर्गों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। यहां पर 17 फीसदी और पांच फीसदी बुजुर्गों ने 10 किलोमीटर के भीतर ओपीडी सेवाओं का लाभ लिया। वहीं मिजोरम और नगालैंड में बुजुर्गों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने के लिए 60 किलोमीटर से अधिक की यात्रा तय करनी पड़ी।
त्रिपुरा, मणिपुर और केरल में बेहतर स्थिति
अध्ययन के अनुसार त्रिपुरा, मणिपुर और केरल में 10 किलोमीटर के भीतर बुजुर्गों को ओपीडी और भर्ती होने वाली सेवा उपलब्ध हो गई। इसमें 80 फीसदी, 75 प्रतिशत और 59 प्रतिशत बुजुर्गों ने ओपीडी सेवा का लाभ उठाया। वहीं 88 फीसदी, 78 फीसदी और 84 फीसदी वृद्धों को अस्पताल में भर्ती होने वाली सेवा मिली। शोधकर्ताओं ने उच्च दर का श्रेय इन राज्यों में आसान पहुंच की बेहतर उपलब्धता को बताया।
इस सबके बावजूद मेरा मानना है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को इस बारे में मनन कर यह पता करना चाहिए कि इतना बड़ा बजट और सुविधाएं उपलब्ध कराने के बाद भी बुजुर्गों को इलाज प्राप्त करने में दस से साठ किलोमीटर तक का सफर कहीं भी क्यों करना पड़ता है। उन्हें इन स्थानों तक ले जाने हेतु सरकारी वाहन की सुविधा क्यों नहीं मिल पाती और आयुष्मान योजना के तहत देशभर में ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं है जो मौका पड़ने पर पात्रों को सुविधा प्राप्त हो सके।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
प्रधानमंत्री जी इतनी सुविधा और बजट उपलब्ध कराने के बावजूद बुजुर्गों को चिकित्सा हेतु मीलों दूर क्यों जाना पड़ता है
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