प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों ही अपनी सरकार की एक अलग पहचान और समाज को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए जहां तक नजर आता है हर संभव प्रयास कर रहे हैं। जहां तक पढ़ने सुनने को मिलता है शासन स्तर पर या महत्वपूर्ण पदों पर तैनात नेता किसी भी अपराधी को बचाने के लिए प्रयास करते नजर नहीं आ रहे हैं। उसके बावजूद जिन कमियों को लेकर पहली सरकारों पर सवाल उठाए जाते हैं वैसा ही इस समय होता नजर आ रहा है। ऐसा आखिर क्यों हो रहा है यह विषय हर आदमी के सामने खड़ा है। कई जगह राजनेताओं को इस बारे में चर्चा करते देखा गया कि जिन कार्यों को सरकार रोकना चाहती है वो कैसे हो रहे हैं। सही आंकलन तो इनका केंद्र व प्रदेश सरकारें या अधिकारी ही जान सकते हैं। जहां तक नजर आता है शासन के नियम नीति जैसे अपराधी से दूरी बनाने और सुधारने का काम करने की बात कही जाती है। लेकिन यहां तो सरकार सर्वे कराए तो कुछ नौकरशाह, नेता और अपराधों में संलग्न आरोपियों में आपस में हुई गलबहियां और एक जिस्म दो जान वाली कहावत वो खुलकर सरकार की नीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भावनाओं से संबंध कार्यों के विपरीत सक्रिय हैं। जिनमें कुछ शिक्षा माफिया भूमाफिया अवैध निर्माणकर्ता और कुछ मिलावटखोर तथा सफेदपोश अपराधियों की कार्यप्रणाली को देखा जा सकता है। क्योंकि कई बार ऐसी चर्चाएं सुनने को मिलती है कि दो दशक पूर्व जो व्यक्ति अपराधों के लिए चर्चित रहते थे आज वो सफेदपोश माननीय हो गए हैं। विभिन्न मंचों से उन्हें सम्मानित किया जाता है और यही सरकारी नीति को नजरअंदाज कर गलत कार्यों को बढ़ावा देते हैं। पिछले दिनों मोनार्ड विवि हापुड़ का मुददा उछलकर सामने आया। तो नागरिकों मंे रूड़की रोड स्थित शोभित विवि द्वारा एक आर्थिक अपराधी को पीएचडी देने की काफी आलोचना हो रही है। जाने माने भूमाफिया जिनके खिलाफ मेडा आवास विकास निरंतर कार्रवाई करता रहा है और वो सरकारी जमीन बेचने और निर्माण करने के लिए चर्चित रहे हैं। उनके यहां समाज के बड़े लोगों का आना जाना है। वह अपराधी कार्यों को बढ़ावा दे रहा और सही काम करने वालों का मनोबल गिर रहा है। मुख्यमंत्री जी जैसा पूर्व में होता रहा है कि सरकार अपने कुछ नुमाइंदे जिनका राजनीति से कोई मतलब नहीं होता लेकिन वो सरकार में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं उन्हें जिलों में भेजकर बदनाम प्रवृति के सरकारी बाबूओं और लोगों जो अपने को सत्ताधारी दल का नेता बताते हैं और कई आरएसएस के लोगों का नाम लेकर गलत काम को अंजाम देने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोगों की खोज खबर कराकर स्वच्छ प्रशासन भ्रष्टाचार और अपराध मुक्त शासन की स्थापना और इनके चलते बढ़ती बीमारियों को रोकने के प्रयास सरकार को करने चाहिए। प्रदेश का मुखिया जनहित में काफी कुछ करने की कोशिश कर रहा है तो नागरिकों की उम्मीदें सरकार से और भी बढ़ जाती है। यह तभी संभव हो सकता है जब नौकरशाहों नेताओं और आर्थिक अपराधियों में सक्रिय लोगेां की कार्यप्रणाली पर अंकुश लगे और इनका संगठन तोड़ा जाए। यह तभी हो सकता है जब सरकार अपने उस नियम का पालन कराए जिसमें अफसर और अन्य लोग सरकारी जमीन घेरकर या अवैध भवनों और शोरूमों नर्सिंग होमों का उदघाटन करने ना जाएं और इस बात की जांच कराएं कि प्रतिष्ठान नियमों का पालन कर रहा है या नहीं। कुछ दिनों पहले एक बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा सम्राट कालोनी में सरकारी जमीन घेरकर खोल गए नर्सिंग होम के उदघाटन में कई अधिकारियों को बुलाकर अपना रौब दिखाने और कार्रवाई से बचने के लिए ऐसा किया गया बताया जाता है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जी: भ्रष्टाचार और भयमुक्त समाज की स्थापना हेतु आर्थिक और अन्य क्षेत्रों में सक्रिय अपराधी टाइप के लोगों अफसरों और नेताओं की गलबहियां पर लगे रोक
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