विदेशों में देश का नाम सम्मान के साथ लिया जा रहा है। हर क्षेत्र में हम तरक्की करने का दावा कर रहे हैं और रोजाना बयान पढ़ने को मिल रहे हैं कि उद्योगपतियों और काबिल लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार सुविधा और शिक्षा, आगे बढ़ने के साथन दिलाने के लिए काम हो रहा है। अपराधों की संख्या जीरो होने की बात भी सुनने पढ़ने को मिलती है। सवाल उठता है कि आखिर देश की प्रतिभाएं विदेश क्यों जा रही हैं। एक खबर के अनुसार नागरिकता छोड़ने वाले 67 प्रतिशत बढ़ गए हैं। भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले दस सालों में ऐसे लोगों की संख्या में करीब 67 फीसदी का इजाफा हुआ है। सरकार का कहना है कि इसके पीछे लोगों के अपने व्यक्तिगत कारण हैं तथा वह अपने समृद्ध प्रवासी समुदाय को अपनी ताकत के रूप में देखती है। विदेश मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार वर्ष, 2014 में 1,29,328 लोगों ने भारतीय नागरिकता का त्याग किया था। वर्ष, 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 2,16,219 हो गया। यानी इसमें करीब 67 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
मंत्रालय के अनुसार यह लोगों का निजी मामला है, लेकिन वह विदेशों में बस चुके भारतीयों के साथ अपने संबंधों में एक विकासात्मक परिवर्तन लेकर आई है। सफल और समृद्ध प्रवासी भारतीय भारत के लिए संपत्ति हैं तथा वह उन्हें अपनी ताकत के रूप में भी देखती है। मंत्रालय का मानना है कि इस ताकत के सकारात्मक उपयोग से भारत बहुत कुछ हासिल कर सकता है।
कनाडा-ऑस्ट्रेलिया बन रही पहली पसंद
हालांकि, विदेश मंत्रालय ने फिलहाल यह आंकड़े नहीं जुटाए हैं कि देश की नागरिकता छोड़ने वाले लोगों ने किस देश की नागरिकता हासिल की है। लेकिन, एक अनुमान के अनुसार कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज्यादा भारतीयों ने नागरिकता ली है। इसकी वजह, इन देशों में नागरिकता पाने के नियमों का सरल होना है। इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, न्यूजीलैंड, मॉरिशस आदि देशों में भी भारतीय नागरिकता ले रहे हैं।
देश छोड़ने की तीन प्रमुख वजहें
भारत की नागरिकता छोड़ने के पीछे तीन प्रमुख कारण बताए गए हैं। पहला, नौकरी मिलने के कारण विदेशों में बस जाना। दूसरा, कारोबार के लिए विदेशों में बसना तथा तीसरा विदेशों में विवाह कर वहां की नागरिकता हासिल कर लेना।
13 लाख से अधिक भारतीय छात्र विदेशों में
विदेश मंत्रालय के अनुसार, केंद्र सरकार इसे सकारात्मक रूप से देख रही है। सरकार का मानना है कि वह वैश्विक कार्यस्थल के महत्व को समझती है। जैसे-जैसे लोगों में आर्थिक समृद्धि आ रही है, वह विदेशों की ओर रूख कर रहे हैं। आज भारत के 13 लाख से अधिक छात्र विदेशों में पढ़ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर वहीं रोजगार करते हैं और फिर वहीं बस जाते हैं।
पीएम साहब बीते लोकसभा चुनाव में जो सत्ताधारी दल के वोटों और सीटों में कमी रही भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनावों में इन परिस्थितियों का सामना सरकार चला रही पार्टियों को ना करना पड़े। इसके लिए इस बिंदु पर गहन मनन करने की आवश्यकता के साथ साथ यह देखा जाना जरूरी है कि सरकार जनहित में जो योजनाएं चला रही है और जनता को सुविधाएं देने के लिए जो कुछ किया जा रहा है उसके हिसाब से नौकरशाही से जुडे लोग अपनी भूमिका निभा रहे हैं या नहीं। क्योंकि महंगाई के छुटकारे के प्रयास भयमुक्त वातावरण की स्थापना महिलाओं को सुरक्षा किसानों को सहायता महिलाओं को उपहार और बच्चों को शिक्षा के लिए जितना सरकार कर रही है अगर उसका लाभ आम आदमी तक पहुंच रहा हो तो किसी को भी मुझे लगता है कि देश छोड़कर जाने की जरूरत नहीं है लेकिन यहां तो लोग नागरिकता छोड़ रहे हैं जो इस बात का प्रतीक है कि कुछ ना कुछ कमी ऐसी है जो समर्थ व्यक्ति ऐसे समय में भी देश छोड़कर जाने के लिए मजबूर हैं। पीएम साहब पीएम मतदाता चाहता है कि पक्ष विपक्ष दोनों मजबूत हों और इसके लिए नागरिकों में नेताओं के प्रति विश्वास बना रहे इसकी बड़ी आवश्यकता है। इसलिए देशहित में इस बिंदु पर हर संभव वो काम किया जाए जिससे लोग देश छोड़कर ना जाए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
पीएम साहब! जब सबकुछ सही है तो नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों में क्यों जा रहे हैं लोग
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