वाराणसी, 23 फरवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे का आज दूसरा दिन है। पीएम आज बीएचयू पहुंचे। यहां सांसद ज्ञान प्रतियोगिता के टॉपर्स को सर्टिफिकेट बांटे। इसके बाद पीएम ने कहा- भगवान शिव के आशीर्वाद से काशी में चारों ओर विकास का डमरू बजा। फिर पीएम मोदी संत रविदास मंदिर पहुंचे और दर्शन-पूजन के साथ ही संत रविदास का दर्शन पूजन किया। जनसभा को संबोधित किया और रविदास जी की 25 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संत रविदास की प्रतिमा का लोकार्पण करने बाद जनता को संबोधित करते हुए कहा- आज देश के हर दलित को, हर पिछड़े को एक और बात ध्यान रखनी है। हमारे देश में जाति के नाम पर उकसाने और उन्हें लड़ाने में भरोसा रखने वाले इंडी गठबंधन के लोग दलित, वंचित के हित की योजनाओं का विरोध करते हैं। जाति की भलाई के नाम पर ये लोग अपने परिवार के स्वार्थ की राजनीति करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडी गठबंधन पर निशाना साधा और कहा कि इन्होंने हमारी सभी योजनाओं का मजाक बनाया लेकिन आज वहीं योजनाएं गरीब जनता, दलित, पिछड़े सबके लिए बेहतर काम कर रही हैं।
पीएम ने कहा कि पहले जिस गरीब को सबसे छोटा समझा जाता था, आज सारी योजनाएं उसी के लिए बनी हैं। कोरोना में हमने 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त भोजन दिया। आज भी उसे बंद नहीं किया गया है। इतनी बड़ी योजना पूरे विश्व में कहीं नहीं है। पीएम ने कहा कि पहले खुले में शौच के लिए जाना पड़ता था। परेशानियां उठानी पड़ती थीं। 5 साल से कम समय में हर घर में पानी पहुंचाया गया है। करोड़ों गरीबों तक आयुष्मान कार्ड दिया गया। कोई बिना इलाज के नहीं रह सकेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- आज हमारी सरकार संत रविदास के विचारों को ही आगे बढ़ा रही है। भाजपा सरकार सबकी है, भाजपा सरकार की योजनाएं सबके लिए हैं। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास ये मंत्र आज 140 करोड़ देशवासियों से जुड़ने का मंत्र बन गया है। पीएम मोदी ने कहा- ष्भारत का इतिहास रहा है, जब भी देश को जरूरत हुई है, कोई न कोई संत, ऋषि, महान विभूति भारत में जन्म लेते हैं।
इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले दिन में बड़ी संख्या में भक्तों को वाराणसी में संत गुरु रविदास जन्मस्थली पर प्रार्थना करते हुए देखा गया। गुरु संत रविदास 15वीं शताब्दी के दौरान भारत के एक महान संत, दार्शनिक, कवि, समाज सुधारक और भगवान के अनुयायी थे। वह निर्गुण संप्रदाय के सबसे प्रसिद्ध और अग्रणी सितारों में से एक थे और उत्तर भारतीय भक्ति आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने समाज में उच्च जाति के लोगों द्वारा निचली जाति के लोगों के लिए की जाने वाली छुआछूत की व्यवस्था के खिलाफ भी काम किया।